आजकल लोगों में पैनिक अटैक कॉमन हेल्थ प्रॉब्लम बनती जा रही है। कुछ लोग इसे हार्ट अटैक समझने की भूल कर बैठते हैं, जबकि पैनिक अटैक हार्ट अटैक से बिल्कुल अलग है। पैनिक अटैक का मतलब है इंसान के दिलो-दिमाग और शरीर पर किसी डर का बुरी तरह हावी हो जाना।
क्या होता है पैनिक अटैक?
पैनिक अटैक के कुछ लक्षण ज़रूर हार्ट अटैक जैसे होते है, लेकिन यह हार्ट अटैक बिल्कुल नहीं है। पैनिक अटैक आने पर अचानक से घबराहट होने लगती है। दिल की धड़कने तेज़ हो जाती है, बहुत पसीना आने लगता है और हाथ-पैर कांपने लगते हैं। सांस लेने में भी दिक्कत होती है और बार-बार गला सूखने लगता है। कई लोगों को उल्टी और पेट में दर्द भी होता है। आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है और चक्कर आने लगते हैं। व्यक्ति को ऐसा लगता है कि अब वह नहीं बचेगा। हालांकि पैनिक अटैक से बहुत घबराने की ज़रूरत नहीं है।
क्या करें जब आए पैनिक अटैक?
पैनिक अटैक आने पर कुछ बातों का ध्यान रखकर स्थिति को बिगड़ने से बचाया जा सकता है।
गहरी सांस लें
पैनिक अटैक आने पर सांसे उखड़ने लगती है। इस स्थिति में गहरी सांस लेकर कुछ देर होल्ड करें फिर धीरे-धीरे छोड़ें। सांस लेने पर फोकस करें। मुंह से लंबी सांस लेकर धीरे-धीरे छोड़ने से पेट और छाती तक ऑक्सीजन सप्लाई होती है।
पैनिक अटैक को पहचाने
अक्सर लोग पैनिक अटैक को हार्ट अटैक समझकर घबरा जाते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि पैनिक अटैक की पहचान की जाये, क्योंकि इससे जीवन को कोई खतरा नहीं है और जब यह बात समझ आ जायेगी, तो डर अपने आप कम हो जायेगा।
आंखें बंद कर लें
पैनिक अटैक के दौरान बाहरी चीज़ें आपको और उत्तेजित कर सकती हैं, इसलिये आंखें बंद करके बस सांस लेने और छोड़ने पर फोकस करें।
किसी चीज़ पर फोकस करें
पैनिक अटैक आने पर दिमाग को डाइवर्ट करना ज़रूरी है। इसके लिए आपको किसी अन्य चीज़ पर फोकस करना होगा। जैसे दीवार पर टंगी घड़ी को देखिये। उसका पैटर्न, कलर, डिज़ाइन आदि के बारे में खुद से बात करिये। इससे आपकी पूरी एनर्जी घड़ी पर टिक जायेगी और धीरे-धीरे घबराहट कम होने लगेगी।
मसल्स रिलैक्सेशन टेक्नीक
डीप ब्रिदिंग की तरह ही मसल्स रिलैक्सेशन टेक्नीक भी पैनिक अटैक रोकने में फायदेमंद है। एक समय में एक ही मसल्स को आराम दें। आप हाथों की उंगलियों से शुरुआत कर सकते हैं। पहले से ही प्रैक्टिस करते रहने से यह ज़्यादा असरदार साबित होता है।
पैनिक अटैक से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल बहुत ज़रूरी है। साथ ही जीवन के प्रति पॉज़िटिव नज़रिया भी आपको इससे बचायेगा।
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