प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से तो अब लोग काफी हद तक वाकिफ है, इसके बावजूद लोग रोज़ाना प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं। लोगों की इसी सोच को बदलने के लिए बैंकाक के वाट चक डाएंग बौद्ध मंदिर में भिक्षु प्लास्टिक में दान ले रहे हैं और इसी प्लास्टिक को रिसाइकलिंग करके इससे बने कपड़े भी पहन रहे हैं। यह पढ़कर शायद आपको थोड़ी हैरानी होगी, लेकिन ये बिलकुल सच है।
कैसे मिली प्रेरणा?
बौद्ध मंदिर के वरिष्ठ भिक्षु फ्रा महा प्राणोम धम्मलंगकारो ने जब एक दिन प्लास्टिक के बड़े से गठरे को देखा, जिसे मशीन से दबाया जा रहा था। ये देख उन्हें काफी दुख हुआ कि प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत ज़्यादा हो रहा है। पर्यावरण में बढ़ रहे प्लास्टिक के प्रदूषण को रोकने के लिए उन्होंने इसकी रिसाइकलिंग करने का सोचा और शुरूआत की बौद्ध मंदिर से।
बहुत खास है यह पहल
इस पहल की खास बात यह है कि यहां श्रद्धालु आशीर्वाद के बदले में भिक्षुओं को प्लास्टिक की थैलियां और बोतलें देते हैं, जिसे रिसाइकलिंग के लिये आगे भेजा जाता है। अब तक भिक्षुओं ने 40 टन प्लास्टिक रिसाइकलिंग किया है, जिसका लक्ष्य पश्चिमी प्रशांत महासागर में थाईलैंड की खाड़ी के दक्षिण में बहने वाली चाओ फ्राया नदी में बह रहे प्लास्टिक कचरे को कंट्रोल करना है।
मंदिर में रिसाइकलिंग का काम
भिक्षु पहले स्थानीय लोगों से प्लास्टिक की बोतलें इकठ्ठा करते हैं। उसके बाद इसे मंदिर के परिसर में अच्छे से धोकर मशीनों के ज़रिये धागें तैयार किये जाते हैं, जिससे भिक्षुओं के लिये कपड़ा बनाया जाता है।
लोगों को मिला रोज़गार
मंदिर में प्लास्टिक रिसाइकलिंग पर्यावरण के लिए तो अच्छा है ही, इससे लोगों को भी रोज़गार मिला हैं। इसमें प्लास्टिक को अलग करने से लेकर कपड़ों की सिलाई तक का काम यहां के स्थानीय लोग करते हैं।
इस तरह से काम करते हुए भिक्षु प्लास्टिक रिसाइकलिंग में न सिर्फ अपना योगदान दे रहे हैं, बल्कि लोगों में जागरूकता भी बढ़ा रहे हैं।
इमेज : ट्विटर
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