हर कोई चाहता है कि पढ़ाई पूरी होने के बाद उसे एक अच्छी नौकरी मिल जाये ताकि उसकी लाइफ सेट हो जाये, मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें लीक से हटकर कुछ करना होता है। ऐसे ही एक शख्स हैं, वेंकट अय्यर। इन्होंने अपने इंजीनियरिंग के अच्छे-खासे प्रोफेशन को छोड़कर खेती करने का फैसला किया और अब वह बच्चों को भी प्रेरित करेंगे।
महाराष्ट्र के गांव में खेती
वेंकट अय्यर महाराष्ट्र के डहाणू तालुका के छोटे से गांव पेठ करीब 4.5 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं। वह ऑर्गेनिक तरीके से अनाज, फल-सब्जियों की देसी प्रजातियां उगाते हैं। वेंकट को अब महाराष्ट्र बोर्ड की 11वीं कक्षा के अंग्रेज़ी के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। किताब में वेंकट के ज़िंदगी के बारे में तो बताया ही गया है, साथ ही उनकी लिखी किताब ‘ मूंग ओवर माइक्रोचिप्स’ का एक चैप्टर भी जोड़ा गया है। इसका मकसद बच्चों को जीवन की सच्चाई से जोड़ना और खेती के साथ ही फल, सब्ज़ियों व अनाज की देसी प्रजातियों के बारे में जानकारी देना है।
असफलता के बाद मिली सफलता
अक्सर लोग किसी काम में असफल होने पर हिम्मत हारकर उसे करना ही छोड़ देते हैं, लेकिन कुछ लोग बार-बार की हार से सबक लेते हुए आगे बढ़ते रहते हैं और आखिरकार सफल हो ही जाते हैं। वेंकट अय्यर ने भी कुछ ऐसा ही किया। 17 साल की कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़कर खेती शुरू तो कर दी, लेकिन पहला प्रयास असफल रहा, मगर हार से वह निराश नहीं हुये और कोशिश करते रहे। आखिरकार वह सफल हो गये और अब तो उनकी सफलता छात्रों को भी प्रेरित करेगी।
ताकि सीख सके बच्चे
वेंकट को अंग्रेज़ी की किताब में शामिल करने वाली समिति का कहना है कि स्कूली किताबों में ऐतिहासिक शख्सियतों के बारे में तो बहुत कुछ लिखा गया है जो अब मौजूद नहीं है, इसलिये वह असल जीवन के आदर्श व्यक्तित्वों को किताब में शामिल करना चाहते हैं ताकि बच्चे उनसे कुछ सीख सकें और ज़ररूत पड़ी तो मिल भी सकते हैं।
किसानों को सिखाते हैं ऑर्गेनिक खेती
वेंकट अय्यर खुद तो ऑर्गेनिक खेती करते ही हैं, साथ ही किसानों को भी इसके बारे में बताते हैं करने का तरीका सिखाते हैं ताकि वह भी पूरी तरह शुद्ध और सुरक्षित अनाज, फल व सब्ज़ियां उगा सकें।
इमेज : द हिंदू
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