एथलीट इवान फर्नेंडिज़, जिसने जीत से ऊपर रखा अपने उसूलों को

एथलीट इवान फर्नेंडिज़, जिसने जीत से ऊपर रखा अपने उसूलों को

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कहते हैं कि बच्चे आपसे वही सीखते हैं, जो आपको करते हुए देखते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्पेन के रनर इवान फर्नैंडिस ने 2012 के एक क्रॉस कंट्री रेस ईवेंट में कुछ ऐसा किया, जिसे भविष्य में देखकर न केवल उनके बच्चे इंसानियत का पाठ पढ़ेंगे, बल्कि उनकी मां का भी सीना गर्व से चौड़ा हो गया होगा। यह वाक्या तो लगभग एक दशक पुराना हो गया, लेकिन इसने लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ दी।

क्या है किस्सा?

स्पेन के बुर्लाडा में हुए एक क्रॉस कंट्री रेस में केन्या के रेसर अबेल म्यूताई आगे चल रहे थे और इवान दूसरे नंबर पर उनके पीछे थे। रेस में सबसे आगे चल रहे म्यूताई अचानक फिनिशिंग लाइन के पास आकर रुक गए। पहले तो इवान को बात समझ नहीं आई, लेकिन जब समझ आया तो उन्होंने म्यूताई को अपनी भाषा में आगे दौड़ने के लिए कहा। म्यूताई को स्पैनिश समझ नहीं आ रही थी, तो इवान ने उन्हें पीछे से धक्का मारते हुए फिनिश लाइन पार करवाई। दरसल म्यूताई को साइनबोर्ड्स देख कर लगा था की रेस खत्म हो गई है, जब्कि वो फिनिशिंग लाइन से बस कुछ ही कदम पीछे रुक गए थे।

क्या दिया रिपोर्टर को जवाब?

जब एक रिपोर्टर ने इवान से पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया, तो उसका जवाब देते हुए उन्होंने बोला कि, ‘मैं एक सपना देखता हूं जिसमें लोग खुद को आगे बढ़ने के लिए ज़ोर दें, साथ ही दूसरों की तरफ हाथ बढ़ाकर उन्हें भी आगे खींचें।‘

इवान से एक रिपोर्टर ने फिर पूछा कि यह रेस तो आप जीत सकते थे, फिर आप आगे क्यों नहीं बढ़ें? इसके जवाब में इवान ने कहा कि, ‘जैसे ही मुझे समझ आया कि क्या हुआ है, मैंने तय कर लिया था कि मैं म्यूताई से आगे नहीं बढ़ूंगा। यह रेस उनकी थी, वह जिस मार्जिन से मुझ से आगे थे, अगर ऐसा नहीं होता तो मैं कभी उनसे आगे नहीं निकल सकता था। फिर वह बोले कि ऐसी जीत कोई मायने नहीं रखती। मेरी मां मेरे बारे में क्या सोचती और भविष्य में मैं अपने बच्चों को क्या सिखाता।‘ उनके जवाब ने पूरी दुनिया के लोगों के दिलों में उनके लिए जगह बना दी।

क्या सिखाता है ये वाक्या?

इवान ने सिखाया कि इंसानियत किसी भी प्रतियोगिता से बढ़कर है। कम्पीटिशन के इस दौर में जब लोग एक दूसरे को पीछे करने के लिए कई हथकंडे अपनाते हैं, तो इवान की सोच सिखाती है कि हर काम में ईमानदारी बेहद मायने रखती है। हमें अपनी मेहनत करते रहना चाहिए लेकिन किसी दूसरे की चूक को अनदेखा कर उससे आगे बढ़ने की बजाय उसे सिखाकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

व्यक्ति के संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं। आप जो देखेंगे वही करेंगे और आप जो करेगे वही देखकर आपके बच्चे सीखेंगे। इवान की इस इंसानियत भरे काम पर अब्राहम लिंकन का यह कथन बिल्कुल फिट बैठता है – “आप जो भी हो, लेकिन हमेशा अच्छा इंसान बनने की कोशिश करो।

इमेज : फेसबुक

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