हालांकि फेस्टिवल्स, शादी व अन्य समारोह में फूलों की सजावट देखने में बहुत अच्छी लगती है, लेकिन अगले ही दिन ये फूल कचरा बन जाते हैं। ऐसे फूलों की मात्रा को देश के टोटल सॉलिड वेस्ट, यानी अपशिष्ट का एक तिहाई हिस्सा माना जाता है। फूलों के इस कूड़े का बेहतर उपयोग करने के मकसद से पीएचडी की छात्रा और केमिकल इंजीनियर परिमिला शिवप्रसाद ने रेट्रा कंपनी लांच की है, जो फूलों के इस कचरे से तेल बनाएगी। इस अच्छे काम की शुरूआत वह अपने होमटाउन बेंगलुरु के एक मंदिर से करने जा रही हैं, जहां गुलाब और चमेली जैसे फूलों की पंखुड़ियों से तेल निकाला जाएगा, जबकि बचे हुए वेस्ट को बायोमास कंपोस्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
फूलों से तेल और वेस्ट बनेगी खाद
फूलों की सुगंध से प्रेरित होकर कंपनी का नाम रेट्रा रखा गया है, दरअसल रेट्रा का संस्कृत में अर्थ सुगंध है। परिमिला की इस कंपनी से न सिर्फ महिलाओं को रोज़गार मिलेगा बल्कि मुनाफे का एक हिस्सा मंदिर को भी दिया जाएगा। तेल निकालने के बाद बचे फूलों के वेस्ट का इस्तेमाल खाद के रूप में मंदिर परिसर में सब्ज़ियां उगाने के लिए किया जाएगा।
नदियों के लिए घातक हैं फूलों का कचरा
अपने इस प्रोजेक्ट के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ से फंड हासिल करने वाली परिमाला शिवप्रसाद कहती हैं कि यूं तो भारत को फूलों की भूमि कहा जाता है, लेकिन जब पूजा, शादी व अन्य समारोहों में इस्तेमाल हो चुके फूलों को नदी-नालों में बहा दिया जाता है, तो इससे जलप्रवाह में रुकावट आ जाती है। आंकड़ों के अनुसार हर दिन भारतभर में दो लाख टन फूलों को कचरा बना दिया जाता है। यहां तक कि डीकम्पोज होने के लिए फूलों का यह कचरा नदियों तथा तालाबों में घुली ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है, जिससे जलीय जीवन के लिए ऑक्सीजन की कमी हो जाती हैं।
होम ट्रिप के दौरान आया आईडिया
परिमाला शिवप्रसाद के मन में फूलों के कचरे से तेल बनाने का आईडिया होम ट्रिप के दौरान आया। जब उन्होंने यह आईडिया अपनी युनिवर्सिटी के छात्रों के साथ शेयर किया, तो उन्होंने न केवल इसकी सराहना की, बल्कि केमिकल एक्सट्रैक्शन के जरिये इसे आगे बढ़ाने का हौसला दिया। परिमाला अपने इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी एक्साइटेड है और इसे जल्द से जल्द शुरू करना चाहती है।
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