क्या कभी आपके साथ ऐसा होता है कि आप ऑफिस से थककर घर आते हैं और जल्दी सोने का सोचते है। बस फिर फटाफट काम खत्म करते है ताकि जल्दी सो जाये, पर जैसे ही बिस्तर पर पहुंचते है, तो फोन के नोटिफिकेशन की टोन बजती है। करवट बदलकर आप फोन हाथ में उठाते हैं और फिर आप फोन में ऐसा बिज़ी हो जाते है कि आपकी नींद छू-मंतर हो जाती है।
क्या कहती है रिसर्च?
आज ज़्यादातर लोग कुछ ऐसी ही परिस्थिति से गुज़र रहे हैं और इसे अगर लत कहा जाये, तो गलत नहीं होगा। हालांकि फोन और इंटरनेट इंसान के फायदे की चीज़ है, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल ने इसे अब लोगों के लिए खतरनाक बना दिया है। साल 2014 में डिस्कवरी कम्युनिकेशन्स ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक 82% लोग टेलीविज़न देखते समय भी अपने फोन को चेक करते हैं। बड़े ही नहीं, इस कतार में बच्चे भी शामिल हैं।
एक दूसरी स्टडी ‘नीलसन’ की माने, तो अमेरिका में ज़्यादातर लोग इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल कम से कम 11 घंटे करते हैं। इसका मतलब है कि अगर आप दिन में आठ घंटे सोते हैं, तो आपके पास केवल पांच घंटे दूसरे काम करने के लिए बचते हैं। अब आप ही समझ लीजिये कि फोन आपकी ज़िंदगी से कितने कीमती पल चुरा रहा है।
फोन पर निर्भरता
आजकल आप छोटी-छोटी बातों के लिए भी फोन पर निर्भर रहते हैं, जैसे नींद से जागने के लिए अलार्म लगाना, सोशल नेटवर्किंग के दोस्तों से चैटिंग करना, उनकी ज़िंदगी में क्या चल रहा है, या किसी को बधाई देने के लिए मैसेज करना। एक समय था जब लोग किसी कि खुशी या गम में उसके साथ खड़े रहते थे, लेकिन लोग आज खुशी या दुख ज़ाहिर करने के लिए मैसेज भेज कर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर लेते हैं।
बाहर निकले वर्चुअल दुनिया से सबसे ज़रूरी बात यह है कि फोन की इस दुनिया से बाहर निकलकर अपनी असल ज़िंदगी पर ध्यान दें।
– अपने दोस्तों के संपर्क में रहें और जब भी हो सके मिलते रहें।
– अपने माता-पिता, बच्चों और जीवनसाथी के साथ समय बितायें। उनकी ज़रूरतों के साथ-साथ, खुशियों का भी ख्याल रखें।
– कसरत के लिए समय निकाले और इसे रोज़मर्रा का हिस्सा बनायें।
– अपनी शेल्फ में पड़ी किताबों से धूल हटायें। इससे दो फायदे होंगे, पहला तो आपकी किताबों से एक बार फिर दोस्ती हो जायेगी और आपके बच्चे भी आपकी राह पर चल पड़ेंगे।
तो अब आप तय कीजिये कि क्या आप अपना ज़्यादातर समय अपने मोबाइल को देंगे या फिर अपनी असल ज़िंदगी में कदम रखेंगे।
और भी पढ़े: बेहतर जीवन में पॉज़िटिव सोच की अहम भूमिका
अब आप हमारे साथ फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी जुड़िये।