सीखने की कोई उम्र नहीं होती। हां, बढ़ती उम्र में नई चीज़ें सीखना थोड़ा मुश्किल ज़रूर हो जाता है, लेकिन प्रयास करते रहना चाहिये क्योंकि इससे दिमाग तेज़ रहता है और मानसिक स्वास्थ्य बिल्कुल दुरुस्त। तो आप अगर अपने दिमाग को बिल्कुल स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो नये स्किल और नई तकनीक सीखना जारी रखें।
बना रहता है मानसिक स्वास्थ्य
दिमाग का जितना अधिक इस्तेमाल किया जाता है उसकी क्षमता उतनी ही अधिक बढ़ती है। शायद आपने गौर किया होगा कि कुछ बुज़ुर्गो की याददाश्त 70-80 साल की उम्र में भी बहुत अच्छी रहती है, ऐसा इसलिए क्योंकि वह नई चीज़ें सीखने की अपनी आदत को लगातार बनाये रखते हैं। साइकोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, बढ़ती उम्र में नए स्किल, नई तकनीक या भाषा सीखने से याददाश्त बढ़ती है, दिमाग सुचारू रूप से काम करता है और मानसिक स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक रहता है। यही नहीं इससे संज्ञानात्मक ज्ञान बढ़ता है और डिमेंशिया का खतरा कम होता है।
दिमागी कसरत
जब आप कोई नई स्किल सीखते हैं या नई भाषा सीखते हैं, तो दिमाग को अधिक सक्रिय रूप से काम करना पड़ता है। एक से अधिक भाषा बोलने पर दिमाग को अधिक मेहनत करनी पड़ती है उनके बीच तालमेल बिठाने के लिए और वह मुश्किल काम के लिए तैयार होता है। इससे कॉन्संट्रेशन बढ़ती है और क्रॉसवर्ड जैसे संज्ञानात्मक काम आप आसानी से कर पाते हैं। रिसर्च से भी यह साबित हो चुका है कि बढ़ती उम्र में नई स्किल सीखने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी बढ़ती है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए करें यह काम
नई भाषा सीखने से लेकर, कोई भी नई तकनीक या हॉबी सीखकर आप अपनी मानसिक क्षमता बढ़ा सकते हैं। बढ़ती उम्र में खुद को मेंटली हेल्दी रखने के लिये आप इनमें से कोई भी तरीका अपना सकते हैं-
नई भाषा सीखें
यदि आपको पहले से ही एक से अधिक भाषा आती है बावजूद इसके कोई अन्य विदेशी भाषा सीखें। इससे मस्तिष्क की कसरत होगी व एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ेगी।
क्रॉसवर्ड या पहेली सुलझाये
इस काम में बहुत दिमाग लगाना पड़ता है। इससे प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल, क्रिएटिविटी और मेंटल शॉर्पनेस बढती है।
नया इंस्ट्रूमेंट सीखें
कोई भी नया इंस्ट्रूमेंट इस्तेमाल करना सीखें। इससे आई कॉर्डिनेशन में सुधार आता है। साथ ही ड्रॉइंग, पेंटिंग और बुनाई जैसी हॉबी भी सीख सकते हैं। इसके अलावा फोटोग्राफी और कुकिंग जैसी नई स्किल भी आपके मेंटल हेल्थ को ठीक रखने में बहुत मददगार है।
रिटायरमेंट के बाद खुशहाल जीवन के लिये सोच करें सहीः
- कोई भी नई चीज़ सीखें।
- एक पारी का अंत नहीं, इसे जीवन की एक नई शुरुआत की तरह देखें।
- अपनी अधूर ख्वाहिश या शौक को पूरा करें।
- मेडिटेशन, योग करने के साथ ही पॉजिटिव किताबें पढ़ें।
और भी पढ़िये : परफेक्ट नहीं अच्छा पैरेंट्स बनना है ज़रूरी
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।