इस धरती पर जन्म लेने वाला हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि वह खुश रहे। लेकिन कुछ लोगों के लिए उनकी खुशी बाहरी चीज़ों में होती है, जो न मिलने पर वह निराश और दुखी हो जाते है। खुशी की परिभाषा हर किसी के लिए अलग-अलग है। असल में सच्चा सुख वस्तुओं में नहीं है, मानव सुख के स्तंभ यानी की हमारे अंदर मौजूद है।
मानव सुख के स्तंभ क्या हैं?
खुश रहना इंसान होने का मूल सिद्धांत खुलापन है। अपने आप को हमारे आसपास की दुनिया के लिए खुलना, खुले दिमाग से जीवन का अनुभव करना एक समृद्ध यात्रा की ओर ले जाता है।
- एक खुला दिल
- एक खुला दिमाग
- खुली आंखें
- खुली बाहों
खुला दिल : इंसान की खुशी का पहला स्तम्भ
अपने दिल को खोलने का मतलब है कि हम जैसे हैं वैसे ही खुद को स्वीकार करें। जब हम खुद को पूरी तरह से स्वीकार और प्यार करते हैं, तभी हम दूसरों को वैसे ही स्वीकार करने और प्यार करने में सक्षम होते हैं जैसे वह है। अपने दिल को खोलना हमें करुणा से भरे जीवन की ओर ले जाता है, जो इस दुनिया में सुंदरता और आनंद पैदा करता है।
खुला दिमाग: नई राह बनाना
हमारे दिमाग को खोलने का मतलब जो हुआ उसे ‘जाने देना’। मानसिक और भावनात्मक बोझ को छोड़ना, अतीत और दुखों को जाने देना। फिर चाहे वो भेदभाव, निराशा या कोई डर हो, उसे छोड़ देना और जीवन में आगे बढ़ना। स्व-निर्मित कल्पना की बेड़ियों को तोड़कर खुद के लिए और दूसरे के लिए एक नई राह खोजना और चीज़ों को देखने का नज़रिया बदलना चाहिए। जब हम चीज़ों को देखने का नज़रिया सीखते हैं, तो हमेशा सही मार्ग पर चलते हैं और भावनाओं को नियंत्रण कर पाते हैं।
खुली आंखें: आज में जीना
हकिकत को देखकर हम आज में जीना पसंद नहीं करते। उससे पीछा छुड़ाने और अपनी खुद की काल्पनिक दुनिया बनाने लगते हैं। नतीजा यह होता है कि हम दुखी रहते हैं। जब हम अपनी आंखें खोलते हैं और अपने सच्चे स्वरुप का सामना करते हैं, तो हम अपनी वास्तविकता और काल्पनिक दुनिया के बीच अंतर करना सीखते हैं। जब हम असल दुनिया का सामना करने के लिए अपनी आंखें खोलते है, तो हमें अपना प्रामाणिक स्वरुप होने की शक्ति मिलती है और सही मायने में खुशहाल जीवन जीना का सुख मिलता है। इसलिए यह मानव सुख के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है।
खुली बाहें: दूसरों के साथ शेयर करना
हम सभी को अनगिनत खजानों से नवाजा गया है जो केवल बांटने पर ही बढ़ता है। यहां बांटने और देने का अर्थ सभी का निस्वार्थ भाव से स्वागत करना। जब हम उदारता से अपनी प्रतिभा, कौशल, धन, प्रेम और अवसर आदि जो हमारे पास है, उसे दूसरों के साथ शेयर करते हैं, तो हम एक प्रकार से पॉज़िटिव ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करते हैं। एक ही जगह रूके रहने पर यह ऊर्जा समाप्त होने लगती है, लेकिन लगातार देने से न सिर्फ यह ज्ञान और कौशल या खुशी बढ़ाती है, बल्कि यह हमारे जीवन को समृद्ध बनाती है।
जब हम मानव सुख के इन चार स्तंभों पर ध्यान देते हैं और उनका अभ्यास करते हैं, तो हम अपने जीवन में खुशियों के पनपने के लिए जगह बनाते हैं।
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