बदलते वक्त के साथ खेती की नई तकनीक भी ईजाद हो रही है, इन्हीं में से एक है, एक्वापोनिक्स खेती। इसमें मछली पालन और खेती दोनों एक साथ होती है, सुनकर शायद आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन खेती का यह तरीका बहुत खास और फायदेमंद है।
देश का पहला एक्वापोनिक्स गांव
कोच्चि के पास एक छोटा-सा गांव है, चेराई, जिसे देश का पहला एक्वापोनिक्स गांव होने का गौरव प्राप्त हुआ है। यह तटीय गांव बेहद सुंदर है और शांति की तलाश करने वाले पर्यटक इस खूबसूरत गांव के समुद्र तट पर सुकून के पल बिताने आते हैं। अब यह गांव सुंदरता के साथ एक्वापोनिक्स खेती की वजह से भी सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। साल 2016 से यहां एक्वापोनिक्स खेती की जा रही है।
मछलियों की गंदगी फसल के लिए फायदेमंद
दरअसल, गांव के लोगों ने देखा कि जब बाढ़ के समय खेत में पानी भर जाता है और उसमें मछलियां होती हैं, तो उस समय बोई जाने वाली धान से चावल की अच्छी फसल होती है। इससे किसानों को समझ आया कि मछलियों से जो गंदगी निकलती है, वह चावल के लिए अच्छी खाद का काम करती है।
महंगा है खेती का तरीका
एक्वापोनिक्स खेती पारंपरिक खेती से थोड़ी महंगी है। इसमें एक बड़े टैंक में मछलियां डाली जाती है, साथ ही पौधे लगाने के लिए कंकड़-बजरी और पत्थर की शीट बिछाई जाती है, जिस पर पौधे लगाए जाते हैं। इसमें लगातार दो तरह के पंप की ज़रूरत होती है, एक से हवा डाली जाती है और दूसरे से पानी। ये पंप लगातार चलते रहने चाहिए, वरना मछलियां मर जाएंगी। इस प्रक्रिया में पौधे पानी से अमोनिया और नाइट्रोजन खींच लेते हैं, जिससे मछलियों को शुद्ध और ऑक्सिजन युक्त बेहतर माहौल मिलता है। इस तरह से मछलियां और पौधे दोनों अच्छी तरह बढ़ते हैं।
सहकारी बैंक ने की थी योजना की शुरुआत
चेराई गांव में एक्वापोनिक्स खेती की शुरुआत दो साल पहले पल्लिपुरम के सहकारी बैंक की ओर से की गई थी। बैंक ने किसानों की मदद के लिए पायलट एक्वापोनिक्स परियोजना शुरू की और इसके लिए किसानों को आर्थिक मदद देने के साथ ही उन्हें खेती की तकनीक भी समझाई। मछली के बीज, फीड्स, पानी की गुणवत्ता पता लगाने की किट और तकनीकी प्रशिक्षण आदि भी बैंक की ओर से दिया गया।
बढ़ी दिलचस्पी
शुरू-शुरू में बस चुनिंदा किसान ही इस तरीके से खेती के लिए राजी हुए थे, लेकिन इसके फायदे देखने के बाद बड़ी संख्या में किसान इस खेती से जुड़ गए। आज चेराई गांव में दो सौ से अधिक एक्वापोनिक्स खेत हैं और बहुत से लोग इसे शुरू करना चाहते हैं। एक्वापोनिक्स खेती में मछली और पौधे एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं और दोनों की ही अच्छी पैदावार होती है, जिससे किसानों को फायदा हो रहा है।
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