कभी-कभी ज़िंदगी में हमें कुछ ऐसे लोगों के बारे में जानने का मौका मिलता है, जिनकी कहानी ना सिर्फ प्रेरणा देती है बल्कि बहुत बहुत कुछ सिखाती भी हैं। अक्सर लोगों की प्लानिंग होती है कि वो एक अच्छी जॉब करेंगे और रिटायरमेंट के बाद चैन की ज़िंदगी बिताएंगे। लेकिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रिटायर्ड शिक्षक श्रीकृष्ण शर्मा की कहानी औरों से बहुत अलग और प्रेरणादायक है।
रिटायर होने के बाद भी स्कूल
श्रीकृष्ण शर्मा ने शाहजहांपुर के गर्वमेंट जूनियर हाई स्कूल में पढ़ाने का सिलसिला साल 1954 में शुरू किया था लेकिन अब वो स्कूल से रिटायर हो चुके हैं। इसके बावजूद वो आज भी उसी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं जहां वो नौकरी करते थे। श्रीकृष्ण शर्मा ने रिटायरमेंट के बाद भी पढ़ाने का अपना पैशन नहीं छोड़ा।
नहीं लेते पैसा
जी हां, श्रीकृष्ण शर्मा अब पढ़ाने का कोई पैसा नहीं लेते। बस रोज़ सुबह अपनी साइकिल पर बैठकर तय समय पर स्कूल पहुंच जाते हैं। स्कूल में टीचर नहीं होने के बाद भी श्रीकृष्ण शर्मा नियमित रूप से घर से 8 किमी दूर स्कूल जाते हैं।
अलग है अंदाज
श्रीकृष्ण शर्मा का बच्चों को पढ़ाने का अंदाज भी अलग है। वह बच्चों को नियमित शिक्षकों की तरह क्लास नहीं देते बल्कि पूरे स्कूल में जो भी क्लास खाली मिल जाए, वो उसी में जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर देते हैं। यह सिलसिला पिछले 23 सालों से लगातार चल रहा है।
महात्मा बुद्ध से प्रेरित
श्रीकृष्ण शर्मा कहते हैं कि वो महात्मा बुद्ध के उस विचार से प्रेरित हुए, जिसमें उन्होंने कहा था कि शिक्षक के लिए उसका शिष्य दत्तक पुत्र के समान होता है। इसी विचार को जीवन में उतारते हुए उन्होंने रिटायरमेंट के दिन संकल्प लिया था कि जब तक शरीर में शक्ति रहेगी, तब तक वह छात्रों को अपना बच्चा मानकर पढ़ाते रहेंगे।
शिष्य भी चले राह पर
गुरू से प्रेरित होकर उनके शिष्य भी इसी राह पर चल पड़े हैं। श्रीकृष्ण के शिष्य ओम प्रकाश शर्मा साल 2014 में रिटायर हो गए थे और इसके बाद पिछले चार साल से जूनियर हाई स्कूल देवरिया में छात्र-छात्राओं को संस्कृत और अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि श्रीकृष्ण शर्मा उनके गुरु हैं और उनसे सीख लेकर वो पिछले चार वर्षों से नियमित स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
राज्य सरकार ने दिया सम्मान
राज्य सरकार ने श्रीकृष्ण शर्मा से प्रभावित होकर प्राइमरी एजुकेशन डिपार्टमेंट ने उन्हें सम्मानित करने के लिए खास कार्यक्रम आयोजित किया। कहना गलत नहीं होगा कि श्रीकृष्ण शर्मा ने वाकई हर एक शख्स के लिए मिसाल पेश की है कि कैसे समाज को बेहतर बनाने में योगदान किया जा सकता है।
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