कहीं बारिश न होने से किसान हताश हैं, तो कहीं दो घूंट पानी से प्यास बुझाने के लिए मीलों की दूरी तय की जा रही है। ऐसे में जरूरी है कि हम पानी को बचाएं, ताकि आनेवाले समय में पानी हमसे दूर न हो सके। इसलिए बारिश के जल को संरक्षित करना बहुत जरूरी है क्योंकि हम बरसाती पानी को स्टोर नहीं करते। यदि पानी यूं ही बेकार बहेगा, तो भविष्य में पानी की कमी बड़ा गहरा संकट बन जाएगा। ऐसे समय में अगर समझदारी से पानी का उपयोग किया जाए, तो लंबे समय तक इसकी उपलब्धता बनी रहेगी।
बारिश के पानी को जमा किया
चेन्नई के साबरी रेसिडेंशियल इलाके के 56 अपार्टमेंट्स के चार ब्लॉक वाली बिल्डिंग के लोगों ने बारिश के पानी को इकट्ठा करने का अनूठा तरीका अपनाया। यहां के लोगों ने सिर्फ तीन दिन की बारिश में ही अपने अपार्टमेंट की छतों पर एक लाख लीटर बरसाती पानी को संरक्षित करके व्यवस्थित रेनवॉटर हार्वेस्टिंग के महत्व को जगजाहिर कर दिया। कॉम्पलेक्स के लोगों ने अपनी छत के रास्ते से रेन पाइप को एक अंडरग्राउंड सिंप या जलाशय में लगाकर एक लाख लीटर पानी जमा किया। जब लोग इसे लगा रहे थे, तो उन्हें उम्मीद नहीं थी कि बारिश का पानी इतना ज्यादा जमा हो जाएगा।
अब ज्यादा पानी जमा करने में सक्षम
साबरी टेरेस रेज़िडेंट्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी हर्ष कोड़ा के अनुसार, अब वे लोग दो हफ्तों में दो लाख लीटर पानी जमा करने में सक्षम हैं। इसके लिए पिछले साल के नवंबर से ही वे रेन वाटर हार्वेस्टिंग की संरचना को अलग-अलग चरणों में स्थापित कर रहे हैं।
लोगों को संतुष्ट करना था चैलेंज
पिछले कुछ सालों से, चेन्नई में दिवाली से पोंगल तक की सामान्य बारिश के अलावा जून-जुलाई में भी अच्छी बारिश होने लगी है। इस वजह से बड़े पैमाने पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग नेटवर्क की योजना शुरू की गई है। लेकिन इस योजना पर काम करने के लिए लोगों को मनाना इतना भी आसान नहीं था, क्योंकि वे पहले से ही पानी पर बड़ी रकम खर्च कर रहे थे। हर्ष कोड़ा और उनकी पत्नी प्रभा कोड़ा साल 2017 से रेनवाटर हार्वेस्टिंग योजना के मुख्य फाउंडर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट पर काम करना सफल होगा या नहीं, जैसे सवालों के जवाब से लोगों को संतुष्ट करने के बाद, कई चरणों में संरचनाएं बनाकर इसका निर्माण शुरू किया गया।
लोगों की मेट्रो वॉटर पर निर्भरता हुई खत्म
वर्षा केंद्र के मार्गदर्शन में डिजाइन की गई संरचना की मदद से टेरेस से वर्षा जल को तीन हज़ार लीटर क्षमता के दो टैंकों से जोड़ने के लिए पाइप का इस्तेमाल किया गया है और ये टैंक एक लाख लीटर के भूमिगत सिंप से जुड़े हुए हैं। यह पानी ट्रीटमेंट प्लांट में जाता है और इस तकनीक ने यहां के लोगों की मेट्रो वॉटर पर निर्भरता लगभग खत्म कर दी है।
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