शहरों को बढ़ाने के लिये लगातार हरे-भरे जंगलों को काटा जा रहा है, नतीजतन जंगल तेज़ी से सिमट रहे हैं और कंकरीट के जंगल बढ़ रहे हैं। इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। कभी बिल्डिंग तो कभी पार्किग बनाने के लिए धड़ल्ले से पेड़ काट दिये जाते हैं, लेकिन ऐसे दौर में भी कुछ लोग हैं, जो अपनी ज़रूरतों और प्रकृति में संतुलन बनाना जानते हैं।
सीमेंट का इस्तेमाल न करके बल्कि सिर्फ प्राकृतिक रूप से उपलब्ध चीज़ों के इस्तेमाल से घर बनाया जा रहा है। सुनकर शायद आपको भी यकीन नहीं होगा, लेकिन पुणे को दो आर्किटेक्ट ध्रुवंग हिंगमिरे और प्रियंका गुंजिकर यह काबिले तारीफ काम कर रहे हैं। ये दोनों अब तक कई सीमेंट फ्री घर बना चुके हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि घर बनाने में ये जिन चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं, उससे पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता।
बिना सीमेंट वाला घर
जब घर बनाने की बात आती है, तो उसमें लगने वाली सबसे अहम सामग्री सीमेंट ही मानी जाती है, इसलिए आम लोग यह सोच भी नहीं सकते कि बिना सीमेंट के भी घर बन सकता है। सीमेंट महंगा होने के साथ ही पर्यावरण के लिए भी अच्छा नहीं होता और जहां तक मज़बूती का सवाल है, तो सीमेंट बहुत मज़बूत भी नहीं होते। आपने देखा होगा की सीमेंट वाले घर की दीवारों में भी कुछ ही सालों में दरारें पड़ जाती हैं, जबकि मिट्टी और चूने से बनी दीवार ज़्यादा मज़बूत होती है। ध्रवुंग घर बनाने के लिए मिट्टी, चूना, लकड़ी, पत्थर आदि का इस्तेमाल करते हैं।
ईको फ्रेंडली और बजट फ्रेंडली
ध्रुवंग घर बनाने में इलाके में मौजूद प्राकृतिक चीज़ों का ही इस्तेमाल करते हैं। स्टील और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं होता या फिर सीमेंट का कभी-कभार बहुत कम इस्तेमाल होता है। सीमेंट और स्टील के कारण ऐसे घरों को बनाने में खर्च भी कम आता है। ध्रुवंग के मुताबिक इससे 20 फीसदी तक पैसों की बचत होती है। इसके अलावा मिट्टी का इस्तेमाल होता है, जो बहुत सस्ती होती है। इतना ही नहीं, जो चीज़ें घर बनाने में इस्तेमाल होती हैं, उसे भविष्य में घर टूटने पर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि रियूज़ेबल चीज़ों से घर बनता है।
एसी की ज़रूरत नहीं
ध्रुवंग और प्रियंका जिस तरह से घर बनवाते हैं, उसमें हवा आने-जाने की पूरी व्यवस्था होती है। इसलिए सीमेंट वाले घरों के मुकाबले इसमें गर्मी का एहसास कम होता है, जिससे गर्मी के मौसम में भी एसी लगवाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
ध्रुवंग और प्रियंका की तरह ही यदि हर कोई इसी तरह ईको फ्रेंडली घर बनाने लगे, तो प्रकृति और मनुष्य की ज़रूरतों में संतुलन बनाना आसान हो जायेगा।
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