वैसे जब भी आप हम पर्यावरण के करीब होते हैं, तो पार्क या पहाड़ी इलाके या फिर नदी-समुद्र के किनारे बैठते हैं, तो मन में एक अजीब सी शांति महसूस होती है। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि हमारा प्रकृति से सीधा जुड़ाव है और इसलिए ये हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम इसे साफ सुथरा और बेहतर रखें। ये करना कोई मुश्किल काम भी नहीं है, बस आपको अपने रोज़ाना के कामों में छोटे-छोटे बदलाव लाने हैं।
परिवार से शुरू होती है पर्यावरण सुरक्षा
परिवार सही अर्थों में पर्यावरण के बारे में सीखने का पहला स्कूल है। परिवार के सदस्य बच्चों को कई उदाहरणों से पर्यावरण सुरक्षा के बारे में सही तरह के सबक दे सकते हैं। घर में हर पौधे की जिम्मेदारी हर सदस्य को दी जा सकती है खासकर बच्चों को। उन्हें पेड़ों और पौधों के नामों को जानने दें और उनसे जुड़ी सभी चीज़ों को शेयर करने दें।
पैक किए गए भोजन से बचें
पैकेड चीज़ों का उपयोग को कम करें क्योंकि वे औद्योगिक कचरे का एक-तिहाई हिस्सा है। कोई भी उत्पाद खरीदने से पहले उसकी पैकेजिंग के बारे में सोचें। अलग-अलग तरह से पैक की गई वस्तुओं से और ज़्यादा कचरा निकलता है जबकि ताज़े फल और सब्जियां लेना सेहतमंद रहता है। इसका इस्तेमाल खाद के रूप में किया जा सकता है। हो सके तो केवल लोकल सामान ही खरीदे।
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ऑर्गेनिक भोजन अपनाना
आज जो सब्जियां हम खाते हैं वह रसायनों और कीटनाशकों की मदद से उगाई जाती है। अगर हम रसायनों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना सब्जियां उगाते हैं, तो इससे मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है और ये हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए फायदा होगा।
घर के कचरे से खाद बनाना
खाद बनाना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पौधों और रसोई के कचरे से बनती है। ये पौधों की सेहत के लिए भी अच्छी है और उन्हें बढ़ने में मदद करती है। यह कचरे की मात्रा को कम करती है, जो लैंडफिल में जाता है, जो हवा को प्रदूषित करता है। इस तरह, यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित साबित होता है।
यात्रा करने में बदलाव लाएं
जितना हो सके पैदल चलें। बाज़ार या कहीं कम दूरी पर जाना है तो पैदल या साईकिल इस्तेमाल कर सकते हैं। कार पूल करें या सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें। इससे ईंधन की बचत होती है और प्रदूषण घटता है।
छोटी पर बड़ी बात
बिजली के अनावश्यक उपयोग से बचें। बिना वजह घर और ऑफिस की लाइट न जलाएं। साथ ही पानी का इस्तेमाल सही तरीके से करें। खरीददारी करते समय अपने साथ कपड़े का थैला लेकर चलें। जन्मदिन या शादी की सालगिरह पर तोहफे के तौर पर पौधा देने की परम्परा शुरू करनी होगी।
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