पायलट बनने के बाद, पंजाब के आदमपुर के सारंगपुर गांव के निवासी विकास जियानी जब अपने गांव के 70 साल और उससे अधिक उम्र के एकाध नहीं, बल्कि 22 बुजुर्गों को हवाई सफर पर ले गए, तो यह एक इतिहास बन गया। विकास ने इन बुजुर्गों छोटा हवाई सफर नहीं कराया, बल्कि उन्हें नई दिल्ली से अमृतसर और स्वर्ण मंदिर, जालियांवाला बाग और वाघा बॉर्डर तक की सैर कराई।
जीवन का पहला हवाई सफर
विकास जियानी ने जिन बुजुर्गों को इस हवाई सफर पर ले गए, उनके चेहरे की मुस्कान देखते ही बनती थी। जीवन में पहली बार प्लेन से सफर करने के बाद इन लोगों का बस यही कहना था कि इन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी ज़िंदगी में कभी प्लेन पर बैठ पाएंगे। बुजुर्गों का यह भी कहना था कि विकास की लगन और मेहनत देखकर उन्हें विश्वास था कि एक दिन वह पायलट जरूर बनेगा और उसने यह कर दिखाया। जबकि, विकास के पिता महेंद्र जियानी ने कहा कि उनके बेटे का बुजुर्गों को हवाई सफर पर ले जाना किसी तीर्थयात्रा से कम नहीं था।
वादे के पक्के निकले विकास
जीवन में पहली बार विमान में बैठने वाली 90 साल की बिमला ने कहा कि उन्होंने कभी ऐसी चीज का सपना देखा नहीं था, जैसा सपना आज साकार हो गया। इन्होंने कहा कि बहुत से लोग बुजुर्गां से कई तरह के वादे करते हैं, लेकिन ऐसे लोग कम ही होते हैं, जो अपना वादा याद रखते और उसे निभाते भी हैं। वहीं, 78 साल की रामामुति और 78 वर्षीय कंकारी देवी ने भी अपनी लाइफ में पहली बार उड़ान भरी। उन्होंने कहा कि यह हवाई यात्रा उनके जीवन का सबसे अच्छा सफर था। हवाई यात्रा के दौरान कई बार बुजुर्गों को कुछ समझ नहीं आता तो उनके साथ बैठे यात्रियों ने उन सभी की बहुत मदद की।
हमेशा बुजुर्गों का सम्मान
विकास के पिता महेंद्र जियानी बैंक में सीनियर मैनेजर है और उन्हें अपने बेटे के इस कदम पर बहुत गर्व हो रहा हैं। उन्होंने कहा कि विकास हमेशा बुजुर्गों का सम्मान करते हैं और यह उनका सपना था कि वे अपने गांव के बुजुर्गों को एयर ट्रैवलिंग पर ले जाएं। विकास ने अपना सपना पूरा किया और यह हमारे लिए भी बहुत बड़ी बात हैं। हम चाहेंगे कि सभी युवाओं को विकास के उदाहरण से प्रेरणा लेनी चाहिए और हम सबको अपने बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए।
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