ऑर्गेनिक खेती में ललिता ने रचा इतिहास

ऑर्गेनिक खेती में ललिता ने रचा इतिहास

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अगर कोई फार्मिंग से पूरी तरह अनजान शख्स ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में दुनिया भर में नाम कमा लें और अवार्ड हासिल कर लें, तो ये काफी हैरानीभरा होगा। कुछ ऐसा ही कारनामा मध्य प्रदेश के धार के मानवाड़ तहसील में सिरसाला के छोटे गांव में पैदा हुई ललिता मुकाती ने कर दिखाया है।

पहले पूरी की बी. ए. की पढ़ाई

ललिता के माता-पिता पेशे से किसान तो थे, लेकिन वे बेटी को किसानी कराने की बजाय हमेशा पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते रहे। महज 19 साल की उम्र में जब ललिता की शादी सुरेश चंद्र मुकाती से हुई तो वूमेन एजुकेशन के हिमायती उनके सुसर ने भी ललिता को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। इसी प्रेरणा के दम पर ललिता ने ओपेन यूनिवर्सिटी के जरिये बी.ए. की डिग्री हासिल की।

बन गईं अवॉर्ड विनर ऑर्गेनिक फार्मर

इसमें दो राय नहीं कि आर्ट ग्रेजुएट की डिग्री एग्रीकल्चर में बहुत काम नहीं आ सकती है, पर ललिता ने इसे झूठा साबित कर दिखाया। आज वह न केवल एक अवॉर्ड विनर ऑर्गेनिक फार्मर हैं, बल्कि 21 महिलाओं का एक एसोसिएशन बनाकर पेस्टिसाइड्स फ्री फार्मिंग को बढ़ावा दे रही हैं। इसी क्रम में उन्होंने बरवानी जिले के बोर्लाई गांव की अपनी 36 एकड़ एग्रीकल्चर लैंड को पेस्टिसाइड्स फ्री कर दिया है, जहां वह आंवला, सेब, केला, नींबू, गेहूं, सोयाबीन, मक्का, कपास जैसी ऑर्गेनिक फसलें उगाती हैं। ललिता जिस तेजी से अपने मिशन की ओर बढ़ रही हैं, उसके हिसाब से जल्द ही वह इन ऑर्गेनिक फलों की निर्यातक बन जाएंगी।

इमेजः नई दुनिया

पति की मदद के लिए अपनाई खेती

ललिता ने ऑर्गेनिक खेती में कदम अपने पति की मदद के लिए उठाया था। ललिता के पति ने एग्रीकल्चर में एमएससी किया था और उन्हें ट्रेनिंग एवं अन्य कारणों से अक्सर बाहर जाना पड़ता था। ऐसे में खेती पर ध्यान नहीं दे पाने के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ता था, इसलिए ललिता ने बच्चों के बड़े हो जाने के बाद साल 2010 में पति से ही खेती के गुर सीखने लगी।

आठ साल की मेहनत ने दिखाया रंग

ललिता के आठ साल के लगातार प्रयासों का रिजल्ट यह रहा कि मध्य प्रदेश स्टेट ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी से उनके खेत को ऑर्गेनिक स्कोप सर्टिफिकेट मिल गया है। ललिता अपने खेत में अर्थवर्म्स पालती हैं, जो खेत के अपशिष्ट को वर्मीकंपोस्ट में बदल देता है। इससे मिट्टी की फर्टिलिटी तो बढ़ती ही है, वर्मीकंपोस्ट की बिक्री से ललिता को एक्स्ट्रा इनकम भी होती है। इतना ही नहीं, नीम की खली का इस्तेमाल भी खेती में कीटनाशक के तौर पर काम आता है।

कर चुकी हैं विदेश दौरा

सर्वश्रेष्ठ जिला किसान पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ फार्म महिला अवॉर्ड से सम्मानित ललिता को मुख्यमंत्री किसान विदेश अध्ययन योजना के तहत चुना गया था। खेती के नए, कम लागत वाले और बेहतर उपज के तरीके जानने के लिए उन्हें जर्मनी और इटली के हाई-टेक ऑर्गेनिक खेतों में जाने का अवसर मिला। इसी के साथ केंद्र सरकार ने भी उन्हें देश की उन 114 महिला फार्मर्स में शामिल किया है, जिन्होंने भारतीय कृषि में बेहतरीन योगदान दिया है।

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इमेजः नई दुनिया

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