सदियों से थियेटर यानी रंगमंच मनोरंजन का साधन बने हुये है, लेकिन सिनेमा और इंटरनेट के दौर में इसकी अहमियत धीरे-धीरे कम होती जा रही है। थियेटर में कला को कई रूपों में दर्शकों तक पहुंचाया जाता है। चलिये, विश्व रंगमंच दिवस (वर्ल्ड थियेटर डे) के मौके पर जानते हैं सदियों पुराने रंगमंच के अलग-अलग रूपों के बारे में।
थियेटर के कई रूपों में से कुछ खास आपके लिये –
भांड पाथेर
यह कश्मीर की लोक कला है, जो सदियों से कश्मीरियों का मनोरंजन करती आ रही है। भांड पाथेर में डांस, गीत-संगीत और एक्टिंग के ज़रिये कलाकार अपनी बात दर्शकों तक पहुंचाते हैं। इस कला का प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को भांड कहा जाता है और ये कलाकार कश्मीर से लेकर डोंगरी और पंजाबी से लेकर अंग्रेज़ी भाषा तक में अपनी प्रस्तुति देते हैं। भांड पाथेर की कला कश्मीर में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत में मिलती चली आ रही है। भांड पाथेर में कश्मीरियों के जीवन के संघर्ष और राजनीतिक मुद्दों पर कलाकार व्यांग्तमक अंदाज़ में प्रदर्शन करते हैं।
नौटंकी
रंगमंच का एक और मशहूर प्रकार है नौटंकी। आज के ज़माने में भले ही इसे बहुत अहमियत न दी जाती है, लेकिन कला का यह रूप कभी उत्तर प्रदेश में बहुत मशहूर था। नौटंकी में शुरुआत में सिर्फ पुरुष कलाकारों का ही दबदबा था, लेकिन अब महिलायें भी इस क्षेत्र में आ चुकी हैं। गुलाब बाई पहली महिला कलाकार हैं जो नौटंकी में मशहूर हुई हैं।
तमाशा
नौटंकी में जहां पुरुषों का दबदबा है, वही तमाशा में सिर्फ महिला कलाकार ही नज़र आती हैं। यह महाराष्ट्र में बहुत मशहूर है। पारंपरिक संगीत, अलग-अलग तरह की भाव-भंगिमाएं और मुद्राओं से कलाकार डांस के ज़रिए कोई कहानी बयां करते हैं। रंगमंच का यह रूप गोंडल और कीर्तन जैसे अन्य लोक कलाओं से बना है, जिसमें सबसे आगे महिला कलाकर होती हैं और इसमें देवी-देवताओं की कहानियों को कला के ज़रिए दिखाया जाता है।
रासलीला
भगवान श्रीकृष्ण के जीवन को कहानी के माध्यम से स्टेज पर दिखाया जाता है। खासतौर पर जन्माष्टमी के समय रासलीला का आयोजन किया जाता है।
कृष्णाट्टम
कृष्णाट्टम केरल का मशहूर क्लासिकल डांस है, जिसमें नाटकीय अंदाज़ में कलाकार कृष्ण के जीवन को दर्शाते हैं। इसमें लगातार आठ दिनों तक नाटक का प्रदर्शन होता है, जिसमें श्री कृष्ण के जीवन के अलग-अलग रूपों को दर्शाया जाता है।
रंगमंच अपने आप में बहुत समृद्ध है और भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, इसलिए इसे खत्म होने बचाना ज़रूरी है।
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