साल में किसी खास दिन या त्योहार के मौके पर हम में से कई लोग गरीबों को दान करते हैं और कुछ लोग उन्हें खाना भी खिलाते हैं, लेकिन रोज़ाना ज़रूरतमंदों को खाना खिलाने वाले बहुत कम लोग होते हैं। ऐसे ही एक दयावान इंसान हैं, विशाल सिंह, जो एक या दो नहीं, बल्कि रोज़ाना 500 भूखे पेट लोगों को भोजन देते है।
खुद के हालात से मिली प्रेरणा
विशाल सिंह को गरीबों का पेट भरने का विचार तब आया, जब कुछ साल पहले वह खुद अस्पताल में भूखे बैठे थे। पिता के इलाज के लिए गुरुग्राम आए विशाल के पास एक रात खाने के लिए कुछ भी नहीं था, उनके सारे पैसे भी खत्म हो गए थे। अस्पताल में बैठे विशाल ने तभी अपने आसपास खुद जैसे ही कई भूखों को देखा, जो अपने परिजनों के इलाज के लिए आए थे, लेकिन खुद का पेट भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। उसी दिन विशाल ने मन ही मन ईश्वर से कहा कि यदि कभी वह किसी काबिल बनते हैं, तो किसी गरीब को यूं भूखा नहीं रहने देंगे।
अस्पतालों में बांटते हैं खाना
विशाल सिंह लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में मरीजों की देखरेख कर रहे गरीब रिश्तेदारों को खाना खिलाते हैं। उनके किचन में साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है और लोगों को न सिर्फ गर्म बल्कि हेल्दी खाना दिया जाता है। इसके लिए वह अस्पताल प्रशासन को कूपन देते हैं और अस्पताल प्रशासन ज़रूरतमंदों को ये कूपन देता है। विशाल की योजना अपने इस काम को और आगे बढ़ाने की है। फिलहाल उनकी संस्था विजय श्री फाउंडेशन हर रोज़ 500 गरीबों का पेट भर रही है।
मदद में पैसे नहीं लेते
विशाल की संस्था मदद करने वाले लोगों से पैसे नहीं, बल्कि राशन लेती है और उसी से ज़रूरतमंदों के लिए खाना बनाती है। खाने का एक दिन का खर्च करीब 11 हजार रुपए आता है। शुरू में आर्थिक तंगी के साथ ही परिवार वालों ने भी विरोध किया, लेकिन विशाल अपने फैसले पर अड़े रहे और आज लाखों गरीब उन्हें दुआएं दे रहे हैं। इस काम के लिए उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके है। अब विशाल का सपना लखनऊ शहर के सभी अस्पतालों में गरीबों को मुफ्त खाना पहुंचाना है और इसके लिए उनकी योजना मास्टर किचन बनाने की है। उन्हें उम्मीद है कि लोगों की मदद से उनका ये सपना भी ज़रूर पूरा होगा।
यदि हर शहर में विशाल जैसे कुछ लोग हो जाए, तो शायद कोई भी गरीब रात को भूखे पेट सोने को मजबूर नहीं होगा।
इमेज: विजय श्री फाउंडेशन फेसबुक पेज
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