नागपुर म्यूनिसपल कॉरपोरेशन (एनएमसी) देश का पहला ऐसा शहर है, जिसने करीब 90 फीसदी तक सीवेज के पानी को ट्रीट करके रियूज़ करने की पहल की हैं। शहर में रोज़ाना 52. 5 करोड़ लीटर सीवेज रिलीज़ होता है, जिसमें से 48 करोड़ लीटर को प्रॉसेस करके रीयूज़ किया जा रहा है। एनएमसी के एक्ज़िक्यूटिव इंजीनियर अनिरुद्ध की माने, तो हर रोज़ 15 करोड़ लीटर, नेशनल थर्मल पावर स्टेशन (एनटीपीसी) को दिया जाएगा। एनटीपीसी इस पानी का इस्तेमाल मौदा थर्मल पावर स्टेशन के लिए करेगा। एनटीपीसी इस पानी के लिए दिए जाने वाले रेट को तय करेगा, जिसके बाद एनएमसी और एनटीपीसी के बीच एक एमओयू साइन होगा।
बढ़ाई जा रही है नए ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता
हाल ही में लगे एक नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता को 20 करोड़ लीटर से बढ़ाकर 35 करोड़ लीटर कर दिया जायेगा। इस मॉडल को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में बनाया गया है, जिसके लिए तीन कंपनियां काम कर रही हैं।
महाजेनको कर रही है बड़ा योगदान
अभी ट्रीट किए जा रहे 20 करोड़ लीटर सीवेज में से 19 करोड़ लीटर का उपयोग महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) अपने कोराड़ी और खापरखेड़ा थर्मल प्लांट के लिए कर रही है। साथ ही जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत बनाये गये सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से ट्रीट हुए प्रतिदिन 13 करोड़ लीटर को भी महाजेनको उपयोग में ला रही है।
पास में बने थर्मल पावर स्टेशन हैं बड़ी मदद
एनएमसी की माने, तो कई शहर सीवेज को ट्रीट करते हैं, लेकिन उसकी मात्रा काफी कम होती है। वे लगभग सात करोड़ लीटर सीवेज को प्रतिदिन ट्रीट कर पाते हैं। एनएमसी तीन साल पहले ही 13 करोड़ लीटर सीवेज को प्रतिदिन ट्रीट करने में सक्षम थी। ट्रीट हुए सीवेज की मात्रा को इसलिए भी बढ़ाया जा सका क्योंकि आसपास कई थर्मल पावर स्टेशन हैं।
नदियां रह सकेंगी साफ
आने वाले समय में एनएमसी पूरे सीवेज को ट्रीट करने के योग्य हो सकेगा। इसके लिए वह नागपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के साथ मिलकर कई छोटे-छोटे 7.2 करोड़ लीटर प्रतिदिन वाले प्लांट लगायेगा। इस कदम से शहर की तीन नदियों नाग, पिली और पोरा का प्रदूषण कम हो सकेगा। साथ ही नाग नदी से मिलने वाले गंदे पानी की वजह से जो कान्हां और वेनगंगा नदियों में प्रदूषण फैलता है, वह भी बंद हो जाएगा।
एनएमसी के इस कदम से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का खर्चा भी निकल जाएगा और साथ में सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले नेचुरल पानी की भी बचत होगी।
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