हाथी देखने में भले ही विशालकाय हो, लेकिन वे अपनी बुद्धिमानी और स्मरण शक्ति के लिए मशहूर हैं। वैसे जब बात उनके इलाज की आती है, तो भारत में हाथियों के लिए कोई ऐसा स्पेशल अस्पताल नहीं था, जहां उनका सही तरीके से इलाज हो सकें। वैसे भी इतने बड़े हाथी का इलाज अन्य जानवरों की तरह नहीं किया जा सकता। उनका इलाज करने में कई तरह की दिक्कतें होती है, इन्हीं मुश्किलों को देखते हुए हाथियों के इलाज के लिए देश का पहला सुपर स्पेशलिटी अस्पताल उत्तर प्रदेश के आगरा के चुरमुरा गांव में खोला गया है। यहां आधुनिक पद्धति से उनका उपचार किया जा रहा है और अस्पताल में घायल, बीमार व बूढ़े हाथियों के इलाज की व्यवस्था की गई है।
एसओएस ने की यह अनोखी पहल
हाथियों के लिए इस अस्पताल को वाइल्ड लाइफ एसओएस नाम की संस्था ने बनवाया है। यह संस्था पहले से ही मथुरा में हाथियों के लिए एक आश्रय एवं पुनर्वास गृह का संचालन कर रही है, जहां देशभर से रेस्क्यू किए गए हाथी रहते हैं। इस समय संस्था के आश्रय और पुनर्वास केंद्र में लगभग बीस हाथी हैं। इस अस्पताल में घायल हाथियों का बेहतर इलाज कर किया जाता है, जिससे हाथियों के संरक्षण में भी मदद होती है।
नई तकनीकों से बना अस्पताल
जाहिर है, हाथी जैसे विशालकाय जानवर के लिए हर चीज़ बड़ी ही होगी, इसलिए पूरा अस्पताल लगभग 12 हजार वर्ग फीट के एरिया में बना है। इसमें घायल हाथियों के लिए विशेष सुविधा है, जैसे वायरलेस डिजिटल एक्सरे, जिसमें हाथी के पास मशीन ले जा कर एक्सरे किया जा सके। लेज़र ट्रीटमेंट और दांतों के एक्सरे की भी सुविधा है। दूसरी अन्य सुविधाएं जैसे थर्मल इमेजिंग, अल्ट्रासोनोग्राफी, हाइड्रोथेरेपी भी अस्पताल में मौजूद हैं। हाथियों को इलाज के वक्त बेहोश करने के लिए भी अलग बंदूक है, जिससे उनका इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकें।
अस्पताल के अलावा बीमार हाथियों को प्राकृतिक माहौल में इलाज देने के लिये जंगल में जगह जगह शेड बनाये गए हैं। इन शेड्स में हाथियों को अलग अलग रखा जाता है ताकि एक हाथी की बीमारी की चपेट में कोई दूसरा हाथी न आ जाये। साथ ही ऐसे तालाब बनाए गए है, जिसमें पैरों से परेशान हाथियों को थेरेपी देने का उचित प्रबंध है। इन हाथियों को 24 घंटे निगरानी में रखने के लिए कैमरे भी लगाए गए हैं।
आशा की किरण
भारत के पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि हाथियों की संख्या लगातार घट रही है, जो बेहद चिंता की बात है। विशेषज्ञों के अनुसार सौ वर्ष पहले भारत में दस लाख हाथी थे। हाथियों का यह अस्पताल आशा की किरण है और उम्मीद है कि इससे हाथियों को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
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