कहते है कि शक्ति का नाम ही नारी है और इन शब्दों की प्रामाणिकता देखनी हो, तो पुणे की सड़कों पर उड़ान भर रही श्रुति और लूइस सूर्यवंशी से मिलिए, जो महिलाओं के लिए नयी मिसाल क़ायम कर रही हैं।
हर मैदान में उतरने को हैं तैयार हम
वैसे जिन क्षेत्रों में अब तक पुरुषों का एकाधिकार रहा है, उसमें फूड डिलीवरी सिस्टम भी एक है लेकिन अब इस क्षेत्र में महिलाओं ने न सिर्फ दस्तक दी है बल्कि अपनी ज़ोर उपस्थिति भी अपनी दर्ज कराई है। बाइक पर सवार, ऑरेंज कलर की टी-शर्ट और जींस पहने श्रुति और लुइस सूर्यवंशी खाना डिलीवर करके अपनी एक नयी पहचान बना रही हैं।
पैशन बना प्रोफेशन
पुणे की रहनी वाली 37 वर्षीय श्रुति सहस्त्रबुधे को बाइक चलाना बेहद पसंद है और इसी की वजह से सिंगल मदर श्रुति ज़िंदगी में आगे बढ़ने का एक मौका मिल गया। श्रुति अपने परिवार में अकेले कमाने वाली महिला है और एक डिलीवरी करने वाली कंपनी ने उनका चुनाव ऑनलाइन किया।
मज़ेदार है ये सवारी
श्रुति पिछले छह महीने से इस कंपनी से जुड़ी हुई हैं और उन्हें इस काम में काफ़ी मज़ा भी आ रहा है। वह बताती हैं कि सुबह काम की शुरुआत सबसे पहले मोबाइल के ज़रिए सिस्टम में लॉगिन करके होती है, जिसके बाद डिलीवरी का प्रॉसेस शुरू हो जाता है। सबसे अच्छी बात ये है कि महिलाओं को फूड डिलीवरी का ये काम सुबह दस बजे से शाम के चार बजे तक ही करना होता है और साथ ही ऑफ़िस जाने की भी ज़रूरत नहीं होती है।
सेल्फ़ी स्टार बन गई अब
इसी फूड डिलीवरी कंपनी में काम करने वाली लुइस सूर्यवंशी बताती हैं कि जब वो फूड डिलीवर करने किसी के घर जाती हैं, तो घर की महिलाएं उनके साथ एक सेल्फ़ी की रिक्वेस्ट करती हैं। पहली बार डिलीवरी के लिए महिलाओं को देख लोग उनके काम की तारीफ भी करते हैँ।
सार्थक पहल
डिलीवरी कंपनी की यह पहल न सिर्फ महिलाओं को आर्थिक मज़बूती देती है बल्कि उन्हें ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए तैयार करती है। वैसे जिस तरह से बाइक पर सवार होकर महिलाएँ अपनी नयी उड़ान भर रही हैं, वो वाक़ई अनुकरणीय है । साथ ही कंपनी की इस पहल को सलाम, जिसने महिलाओं को दी है एक नयी पहचान।
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