वर्तमान में जलवायु परिवर्तन इस दुनिया का सबसे बड़ा मुद्दा है। इस दुनिया का हर हिस्सा किसी न किसी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। जैसे अभी ग्रीस और कैलिफोर्नियां के जंगलों की आग से, तो ब्रिटेन बाढ़ से और भारत चक्रवात से जूझ रहा है। कुछ समय पहले अमेरिका में आए बर्फीले तूफान के कारण तापमान ज़ीरो डिग्री से भी नीचे हो गया था। इस तरह देखा जाए तो कहीं ज़रूरत से ज्यादा बारिश तो कहीं बेतहाशा गर्मी पड़ रही है, जो जलवायु परिवर्तन के शुरुआती लक्षण है। विभिन्न शोधों और वैज्ञानिकों द्वारा ये बात साबित भी हो चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा सार्वजनिक तौर पर एक रिपोर्ट पेश की गई जिसमें 2030 तक तापमान के 1.5 °C तक बढ़ने की बात कही गई है। मतलब जलवायु परिवर्तन बहुत तेज़ी से हो रहा है और अगर इसे रोका नही गया तो सबसे पहले प्रशांत महासागर में जितने भी छोटे छोटे द्वीपीय देश हैं, सभी पूरी तरह डूब जायेंगे।
नई नही हैं जलवायु परिवर्तन की चेतावनी
जलवायु परिवर्तन कोई नया संकट नही हैं। वैज्ञानिकों ने मौसम के मिज़ाज को देखते हुए इसका अंदाज़ा बहुत पहले ही लगा लिया था, लेकिन दुनिया की आंख तब खुली जब 1985 में ओज़ोन परत में बड़ा सा छेद देखा गया। इस छेद के कारण पराबैगनी किरणें धरती तक पहुंच रही थी और जीवन को नुकसान पहुंचा रही थी।
संयुक्त राष्ट्र के आईपीसीसी पैनल ने 2018 में भी एक रिपोर्ट निकाली थी जिसमें कहा गया था, अगर दुनिया इसी तरह ग्रीन हाउस गैसों को निकालती रहेगी तो 2050 तक कई देश समुद्र में डूब जायेंगे।
जलवायु परिवर्तन के बहुत हैं नुकसान
संयुक्त राष्ट्र, अर्थशास्त्रियों ने शुरुआती जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए कई अनुमान लगाए। जैसे – – गरीबी, अशिक्षा बढ़ जाएगी।
– देशों में ज़मीन को खातिर ज्यादा युद्ध होंगे।
– लोगों में खुशी को मात्रा कम होगी क्योंकि एक तरफ प्रकृति तो दूसरी तरफ इंसानी चुनौतियों से निपटना होगा।
क्या है कारण और क्या हो सकते समाधान?
- बनाएं ग्लोबल मुद्दा – हम हर साल देखते हैं कि हमारे नेता जलवायु परिवर्तन से जुड़ी मीटिंग यानि COP में जातें हैं लेकिन यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। इसका कारण है ग्लोबल मुद्दों पर लोकल सोच का होना।
- सबका फायदा सबका नुकसान – लोगों को यह समझने की ज़रूरत है कि अगर जलवायु परिवर्तन होता है, तो आज नहीं तो कल निश्चित ही उन पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ेगा ही। अगर यह रुक जाता है तो इसका फायदा पूरी दुनिया को भी मिलेगा।
- जागरूकता बढ़ाकर – क्लाइमेट सबसे ज्यादा नई पीढ़ी का मुद्दा है। आज ग्रेटा थनवर्ग, भारत की लिसिप्रिया कांगुजाम, रिद्धिमा पांडे, दिया मिर्ज़ा जैसे कई एक्टिविस्ट हैं, जो जलवायु परिवर्तन पर सरकारों को सजग कर रही हैं।
- लगातार विकास – आमतौर पर आजकल की सरकारें विकास कर रही हैं लेकिन समय के हिसाब से ज़रूरत है लगातार विकास करते रहने की। ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संसाधन बचें रहें और हमारी ज़रूरतें भी पूरी होती रहें।
आज हमें यह तय करने की ज़रूरत है कि हम किसी भी हाल में प्रकृति का संरक्षण करेंगे। और जलवायु परिवर्तन की इस चुनौती को पेड़ लगाकर दूर करेंगे।
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