लेखक, इंटरनेशनल ग्राफिक डिज़ाइनर और मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. साई कौस्तुभ दासगुप्ता ने अपनी ज़िंदगी से जुड़ी गई अहम बातें शेयर की ThinkRight.me के साथ।
आपका बचपन कैसा था?
जन्म के बाद साढ़े तीन साल की उम्र में हड्डियों में पहला क्रैक आया और फिर एक साल के अंदर मेरी तीन हड्डियां फ्रैक्चर हो गई। डॉक्टरों ने कहा कि मुझे ब्रिटल बोन डिसीज़ (ऑस्टोजेनेसिस इंपरफेक्टा) है, जिसकी वजह से मेरे शरीर में हड्डियों के विकास के लिए ज़रूरी कोलेजन या प्रोटीन का निर्माण नहीं हो रहा है।
स्कूल के दिनों में एक बार जब मैं फर्स्ट आया था, तो मेरा दोस्त मुझसे हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ा, उस वक्त मुझे याद कि मेरे हाथ गंभीर फ्रैक्चर हो गया था। अब तो शरीर में कितने फ्रैक्चर हैं गिनना छोड़ दिया है, लेकिन इस बीमारी से मेरी सिर्फ हड्डियां टूटी है, दिल नहीं।
मैं अब व्हीलचेयर पर हूं और मेरा सिर्फ एक हाथ और एक अंगुली ही काम करती है और इन्हीं की मदद से मैंने सीखा है कि पॉज़िटिव कैसे रहा जाता है।
अधिकांश लोग एक भूमिका भी ठीक से नहीं निभा पाते हैं, आप ग्राफिक डिज़ाइनर, सिंगर, कंपोज़र, लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर की इतनी सारी भूमिकाएं कैसे निभा लेते हैं?
मैं स्पेशल हूं, इसलिये कई भूमिकाएं एक साथ निभा लेता हूं। ज़िंदगी ही मेरी टीचर है, जिससे मैंने बहुत कुछ सीखा है। जो इंसान एक गिलास पानी तक नहीं उठा सकता और आम इंसान की दिनचर्या वाले सारे काम नहीं कर सकता, उसके लिए यह सब आसान नहीं था। लेकिन मैंने खुद को ऐसे काम के लिए तैयार किया, जो आम लोग नहीं कर सकते।
किस चीज़ से आप इतने सालों से प्रेरित होते रहे हैं?
मेरी मुस्कुराहट मेरी ताकत है। मैं हर हालात में मुस्कुराते रहता हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि मुस्कुराहट आपको पॉज़िटिव बनाये रखती है। मेरी ज़िंदगी में मेरे माता-पिता मेरी प्रेरक शक्ति रहे हैं, वह सुबह से शाम तक हर चीज़ में मेरी मदद करते हैं।

आपने कपड़े भी डिज़ाइन किये हैं, यह आइडिया कैसे आया ?
2016 में जब मुझे अवार्ड लेने स्टेज पर जाना था, तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि मुझे अपने लुक में थोड़ा बदलाव करना चाहिये। दिव्यांग लोगों को भी स्मार्ट दिखने का हक है। फिर मैंने कपड़े डिज़ाइन किये। मैंने ट्रेडिशनल धोती-कुर्ता, अंगवस्त्र और वेस्टर्न सूट भी डिज़ाइन किया है।
आपके हिसाब से आजकल दुनिया में किस चीज़ की कमी है?
समय के साथ मैंने महसूस किया कि लोग खुश होने का सिर्फ दिखावा करते हैं, वह खुश नहीं है। वह हर जगह खुशी को तलाशते हैं, लेकिन सही जगह पर नहीं ढूंढ़ते। खुशी ऐसी चीज़ है जो बांटने से बढ़ती है, इसलिए मैं इसे अलग-अलग रूपों में फैलाने की कोशिश करता हूं।
आप अपने पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
सफलता का मेरा मंत्र बहुत सिंपल है। ज़िंदगी बहुत छोटी है इसलिए इसके हर पल को पूरी तरह आनंद के साथ जियो। खुद को प्रेरित करें, आप जैसे हैं, खुद को वैसे ही स्वीकारें। आभार व्यक्त करने में ही असली खुशी है, इसलिए सबके प्रति आभारी रहें।
और भी पढ़िये : हैरी पॉटर के सहारे जीती परेशानियों की जंग
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।