एक ज़माना था, जब महिलायें पीरियड्स की बात करने में संकोच करती थी और समाज उसे टैबू समझता था। इसी कारण अक्सर महिलाओं को कई तरह की समस्याएं भी होती, तो भी वह संकोचवश कह नहीं पाती थी। लेकिन अब यह धारणा काफी हद तक बदली है और महिलायें खुलकर सेहत से जुड़ी समस्या रख रही हैं। जैसे किसी महिला के लिये पीरियड्स शुरु होना नैचुरल है, ठीक वैसे ही ‘मेनोपॉज़’ यानि पीरियड्स खत्म होना भी प्राकृतिक है। मेनोपॉज़ आने से हर महिला अलग महसूस करती है। तो आइये, जानते हैं मेनोपॉज से जुड़ी कुछ बातें।
क्या है मेनोपॉज़ ?
जब किसी महिला को करीब सालभर तक पीरियड्स न आयें और वह प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण न कर सके, तो माना जाता है कि उसे मेनोपॉज़ आ गया है। मेनोपॉज़ की शुरुआत आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की आयु में होती है, लेकिन यह किसी महिला को पहले या बाद में भी आ सकता है।
ज़्यादातर महिलाओं को मेनोपॉज़ के लक्षण करीब चार साल पहले ही महसूस होने लगते हैं और यह मेनोपॉज़ के करीब चार साल बाद तक चलते हैं। मेनोपॉज़ से पहले प्री मेनोपॉज़ होता है, जिसमें आपके हार्मोन्स में बदलाव होना शुरु हो जाता है और यह कुछ महीनों से लेकर कई सालों तक चल सकता है। लेकिन कई महिलाओं को प्री मेनोपॉज़ नहीं होता और अचानक से मेनोपॉज़ हो जाता है।
क्या होते हैं मेनोपॉज़ आने के लक्षण ?
– प्रीमेनोपॉज़ में पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं।
– मेंस्ट्रूअल फ्लो पहले से ज़्यादा हेवी या लाइट हो जाता है।
– हॉट फ्लैश, रात को पसीना आने लगता है।
जब इन लक्षणों के बाद पीरियड्स एक साल तक न आयें, तो संभव है कि मेनोपॉज़ आ गया है। मेनोपॉज़ की वजह से आपको कई तरह की परेशानियां भी महसूस हो सकती है, जैसेः
– नींद न आना
– वज़न बढ़ना
– डिप्रेशन हो जाना
– चिंता से घिरे रहना
– एकाग्रता में कभी आना
– याददाश्त में बदलाव आना
– मुंह, आंखें और स्किन में सूखापन आना
– बार-बार टॉयलेट जाना।
महिलाओं की बढ़ती उम्र में उनके साथ ‘कदम उठाओ सही’
– मेनोपॉज़ से जूझ रही महिला को मूड स्विंग्स हो सकते हैं, उनके साथ स्नेह से पेश आयें।
– परेशानी हो, तो मेडिकल हेल्प लेने से न घबरायें।
– उनका इमोशनली साथ दें।
और भी पढ़िये : हाउसवाइफ का इमोशनली फिट होना ज़रूरी
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।