आइंस्टीन ने एक बार कहा था कि, ‘संगीत के बिना जीवन मेरे लिए अकल्पनीय है। मैं संगीत में अपने दिन के सपनो को जीता हूं। मैं अपना जीवन संगीत के ज़रिये देखता हूं… जीवन का सबसे ज़्यादा आनंद मुझे संगीत से मिलता है।‘
ज़रा सोचिये कि दुनिया के सबसे मशहूर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन, जब संगीत के बारे में यह सोच रखते थे, तो संगीत का एक इंसान के जीवन में कितना महत्वपूर्ण रोल होगा। ज़रूरी नहीं कि आप संगीत को एक प्रोफेशन के तौर पर ही चुने पर आप इसे शौकिया भी सीख सकते हैं।
आज हम आपको भारतीय वाद्य यंत्र यानि म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में जानकारी देंगे, जिससे आपको उनकी बनावट और बारीकियों के बारे में पता चल सके और आप सीखने के लिए अपने पसंद का वादन चुन सकें।
सितार
यह उत्तर भारत का सबसे पॉपुलर वादन है। सितार की एक लंबी सी गर्दन होती है, जिसमें बीस मेटल के फ्रेट्स होते हैं और छह से सात कॉर्ड्स होते हैं। इन फ्रेट्स के नीचे 13 तरह की सिंपथेटिक स्ट्रिंग्स होती हैं, जिनको रागों के हिसाब से ट्यून किया जा सकता है। एक गार्ड सितार के निचले हिस्से पर होता है, जो तारों को टूटने से बचाता है।
उस्ताद विलायत खान, पंडित रविशंकर, उस्ताद इमरत खान, उस्ताद अब्दुल हलीम जफर खान, उस्ताद रईस खान और पंडित देबू चौधरी कुछ प्रसिद्ध सितार वादक हैं।
बांसुरी
बांसुरी एक साधारण पतली और लंबी सी ट्यूब होती है, जिसमें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर हवा के लिए छेद होते हैं। बांसुरी बहुत लंबे समय से भारतीय संगीत से जुड़ी हुई है। बांसुरी कई तरह की होती हैं। बांसुरी बजाते समय इसे नीचे की ओर झुकाया जाता है और छेदों को अंगुलियों से ढका जाता है, जिससे मधुर धुन आती है। हवा की लंबाई से पिच में भिन्नताएं लाई जाती हैं।
पंडित पन्नालाल घोष और पंडित हरि प्रसाद चौरसिया बांसुरी के प्रसिद्ध संगीतकार हैं।
तबला
तबला एक लोकप्रिय वाद्ययंत्र है। भारत में यह बहुत मशहूर है। यह वाद्य यंत्र दो भागों में होता है, दायां तबला और बायां तबला। तबले का आविष्कार 13वीं शताब्दी में महान भारतीय कवि और संगीतज्ञ अमीर खुसरो ने पखावज के दो टुकड़े करके किया था। तबला शीशम की लकड़ी से बनाया जाता है। इसे बजाने के लिए हथेली और उंगलियों का इस्तेमाल किया जाता है।
उस्ताद अल्लाह रखा खान, अहमद जान थिरकवा, उस्ताद जाकिर हुसैन, किशन महाराज प्रसिद्ध तबला वादक हैं।
हारमोनियम
हारमोनियम भारत का एक पारंपरिक और लोकप्रिय संगीत वाद्य यंत्र है। हारमोनियम में ढ़ाई सप्तक का एक कीबोर्ड और धौंकनी होती है। कीबोर्ड को दाहिने हाथ से बजाया जाता है, जबकि बाएं हाथ का इस्तेमाल धौंकनी को चलाने के लिए किया जाता है। हारमोनियम दक्षिण की तुलना में उत्तर भारत में ज़्यादा लोकप्रिय है।
तुलसीदास बोरकर, आर.के बीजापुर, फारुख फतेह अली खां कुछ प्रसिद्ध हारमोनियम आर्टिस्ट हैं।
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