किसी भी व्यक्ति की ज़िंदगी में स्ट्रैस, डर या एंज़ाइटी होना आम बात है। आप इन इमोशन्स को अक्सर महसूस कर सकते हैं, जैसे कि जब आप किसी एग्ज़ाम के रिज़ल्ट का इंतज़ार कर रहे हों, किसी जॉब के लिए इंटरव्यू देने जा रहे हों, अपने बच्चे की परफोर्मेंस जानने के लिये उसके स्कूल जा रहे हों आदि। अगर इंसान अपने काम के परिणामों के बारे में सोचता है, तो यह उसे अनुशासित और फोकस होने में मदद करता है। लेकिन अगर डर आपके जीवन में हावी होने लगे, तो यह एंज़ाइटी डिस्ऑर्डर का रूप ले लेता है। इससे बिना किसी समस्या के भी हमेशा डर बना रहता है। चिंता होने लगती है और यह समझ नहीं आता कि आखिर यह डर और परेशानी किस चीज़ से है।
अगर ऐसा महसूस होता है, तो योग इसमें मदद कर सकता है लेकिन इसके साथ डॉक्टर की सलाह भी ज़रूर लें।
योग से मिलेगा एक नया जीवन
योग करने से आपको अपनी आत्मा, शरीर और दिमाग को रिलेक्स करने में मदद मिलती है। जब भी योग करें, तो उसमें किसी प्रोफेशनल की मदद लें। इन आसान योगासन से आप खुद को एक नया जीवन दे सकते हैं।
धनुरासन (बो पोज़)
धनुरासन दो शब्दों धनु और आसन से मिलकर बना है, जहां धनु का मतलब धनुष और आसन का मतलब योग मुद्रा से है। इस आसन को करते समय शरीर धनुष के आकृति का बन जाता है। इस मुद्रा में पेट और जांघ धनुष के हिस्से के रूप में होता है और पैरों का निचला हिस्सा एवं बाहें धनुष के तने हुए हिस्से का काम करता है।
मत्यासन (फिश पोज़)
मत्स्यासन एक ऐसा आसन है, जिसमें गर्दन और कमर को पीछे की ओर झुकाकर मछली के आकार के पोज में इस आसन का अभ्यास किया जाता है। इस आसन में गर्दन को पीछे की ओर झुकाया जाता है, इसलिये यह थॉयराइड ग्लैंड पर बेहतर प्रभाव डालता है और मन को ठीक रखने में मददगार होता है। मत्स्यासन सभी आसनों की ही तरह शरीर के लिए लाभकारी आसन है, जिसे नियमित करने से मसल्स में मज़बूती आती है और शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
शीर्षासन (हेडस्टैंड)
शीर्षासन संस्कृत के दो शब्दों शीर्ष और आसन से मिलकर बना है। जहां शीर्ष का अर्थ सिर और आसन का अर्थ मुद्रा है। शीर्षासन का अभ्यास सिर नीचे और पैर ऊपर उठकार किया जाता है इसलिए इसे अंग्रेजी में हेड स्टैंड पोज़ कहा जाता है।
सिरदर्द के इलाज में शीर्षासन बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर को उल्टा करना पड़ता है, यानी सिर को ज़मीन पर टिकाकर बैलेंस बनाना होता है। इस क्रिया में दिमाग में खून का बेहतर तरीके से प्रवाह होता है, जिससे यह दिमाग से जुड़ी सभी बीमारियों के लिए फायदेमंद होता है। महिलाएं गर्भावस्था के अलावा किसी भी समय शीर्षासन का अभ्यास कर सकती हैं।
शवासन (कॉर्प्स पोज़)
शव एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- मृत शरीर। इस आसन को यह नाम इसलिए मिला है, क्योंकि इसमें एक मृत शरीर के समान आकार लिया जाता है।
शवासन विश्राम यानि रिलैक्स करने के लिये है योगा सेशन के बाद किया जाता है। एक योग सेशन बॉडी एक्टिवेशन के साथ शुरु होता है और रिलैक्सेशन के साथ समाप्त होता है। यह वह स्थिति है जब आपके शरीर को पूरा आराम मिलता है। योगा सेशन के अंत में आपको योग निद्रा में लेट जाना चाहिये। इससे दिमाग और शरीर रिलेक्स होता है और स्ट्रेस कम होता है।
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