हमारे शरीर के अंदर मूलरुप में सात ऊर्जा के स्तोत्र हैं। ये चक्र हमारे आकार, व्यवहार, विचारों और भावनाओं या संवेदना को नियंत्रित करते हैं। जब हमारे ये चक्र संतुलित होते हैं, तो हमारा शरीर और मन एक खास संतुलन में काम करता है। विशुद्ध चक्र भी उन्ही में से एक है।
पांचवा चक्र – विशुद्ध
विशुद्ध, हृदय चक्र को आवाज देता है और हमारी व्यक्तिगत शक्ति को संप्रेषित करने की हमारी क्षमता को नियंत्रित करता है। यह चक्र व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा को पवित्र करता है। यह शरीर का पांचवा चक्र है, जो गले के पास स्थित होता है इसलिए इसे कंठ चक्र भी कहते है। क्योंकि यह गले के पास स्थित होता है इसलिए इसका संबंध संवाद की क्षमता से है।
कंठ चक्र सत्य, उद्देश्य, रचनात्मकता और व्यक्तित्व के माध्यम से खुद को व्यक्त करने से संबंधित है। यह चक्र दूसरे चक्र या त्रिक चक्र से जुड़ा है, जो भावनाओं और रचनात्मकता का एक और केंद्र है। कंठ चक्र का ध्यान विचारों को स्पष्ट, सुंदर और ईमानदारी से व्यक्त करने और दुनिया में किसी की प्रामाणिक रचनात्मकता को पेश करने पर है।
पांचवे चक्र को संतुलित करने वाले योगासन
अगर ये चक्र असंतुलित हो जाए, तो व्यक्ति न तो अच्छे श्रोता बन पाएंगे और न ही अपनी बात बिना डरे और झिझके दूसरों से कह पाएंगे। शारीरिक स्तर पर विशुद्ध के आसपास ऊर्जा की रुकावट से गले में खराश, थायरॉइड की समस्या, गर्दन और कंधे में दर्द, सुनने की समस्या, जबड़े में दर्द हो सकता है।
सिंहासन (लायन पोज़)
यह संस्कृत से निकला शब्द सिंह का अर्थ शेर और आसन का अर्थ बैठने की मुद्रा से है। इस प्रकार सिंहासन का अर्थ शेर के समान बैठने की अवस्था है। यह आसन मनुष्य के अंदर छिपे हुए डर को निकालकर उसे निडर बनाने में मदद करता है। सिंहासन मुद्रा के अभ्यास से विशुद्ध चक्र सक्रिय होता है और गले के आस पास के अंगों के सेहत को बढ़ावा देता है। इस योगासन का अभ्यास करते समय शेर की दहाड़ निकलते समय छाती और फेफड़ों पर प्रभाव पड़ता है, जिससे श्वसन नली स्वच्छ होती है। गले की खरास और आवाज़ में किसी भी प्रकार के विकार को दूर कर वाणी में मधुरता लाता है।
मार्जरी आसन
योग में मार्जरी आसन को बिल्ली से प्रेरणा लेकर बनाया है। मार्जरी आसन को कैट पौज़ के नाम से भी जाना जाता है। अष्टांग योग में वर्णित मार्जरी आसन सरल एवं फायदेमंद आसनों में से एक है। यह कंठ चक्र और मणिपुर चक्र को संतुलित करने में मदद करता है। इस आसन के अभ्यास से शरीर को एक आवश्यक खिंचाव देता है, जिससे दिमाग शांत रहता है और तनाव, चिंता, अवसाद जैसे विकारों को दूर रखता है।
हलासन
यह आसन तंत्रिका तंत्र को शांत करने में कारगर है। हलासन के अभ्यास से तनाव, थकान, सिरदर्द में कमी देखी जा सकती है। यह आसन थायरॉयड ग्रंथि और पेट के अंगों को उत्तेजित करके गले के चक्र में रुकावट को दूर करता है।
सर्वांगासन
यह एक ऐसी मुद्रा है, जो थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करने और विशुद्ध चक्र को सक्रिय करने के लिए बहुत अच्छा है। यह आसन फेफड़ों में ऑक्सीजन और रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है। ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होने से पाचन तंत्र बेहतर होता है।
चक्रवाकासन (कैट-काउ पोज़)
कैट-काउ या चक्रवाकासन एक योग मुद्रा है, जो पूरे शरीर से तनाव को दूर करने में मदद करके व्यक्ति की पीठ और गर्दन में खिचाव पैदा करता है। यह आसन गले चक्र केंद्र के लिए बहुत फायदेमंद है।
जब विशुद्ध चक्र अपनी पूरी क्षमता से काम कर रहा होता है, तो व्यक्ति खुद को सही मायने में और स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अनुमति देता है। विशुद्ध चक्र के जागरण से आपके अंदर दूसरे को प्रभावित करने वाली वाचन शक्ति विकसित होती है।
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