“हठ योग” में वर्णित 8वें शास्त्रीय प्राणायाम में से एक है सूर्यभेदन प्राणायाम। यह नाक से सांस लेने की एक सही तकनीक है। अक्सर लोग मौसम में बदलाव आने पर ठंड लगना, बलगम और गला खराब जैसी दिक्कतों को सामना करते हैं। ऐसे दिक्कतों को दूर करने में सूर्यभेदन प्राणायाम आपको के लिए फायदेमंद हो सकता है।
सूर्यभेदन प्राणायाम क्या है?
सूर्यभेदन प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है एक सूर्य और दूसरा भेदना जिसमे सूर्य का अर्थ है सूरज और भेदना का अर्थ है छेदना या आर पार होना। सूर्य भेदन प्राणायाम में सांस लेने की क्रिया दाहिनी नासिका से और सांस छोड़ने की प्रक्रिया बायीं नाक से होती है।
इस प्राणायाम का सीधा संबंध सूर्य नाड़ी से होता है। इसमें पूरक दायीं नासिका से करते हैं और दायीं नासिका सूर्य नाड़ी से जुड़ी मानी गई है। इसे ही सूर्य स्वर कहते हैं।
प्राणायाम करने का तरीका
- सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में बैठ जाइए
- रीढ़ की हड्डी सीधी रखें
- बाएं हाथ को अपने घुटने पर रखिये और आंखें बंद करिये
- दाएं हाथ के तर्जनी और मध्य अंगुली को बंद करके रिंग फिंगर और अंगूठे का इस्तेमाल करेंगे
- बाई तरफ की नाक को रिंग फिंगर से बंद करके दाई तरफ की नाक से धीरे-धीरे सांस लीजिए
- अब अंगूठे से दायी नाक को भी बंद कर लीजिए
- थोड़ी देर सांस रोकने के बाद बाईं नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ दीजिए
- इस प्रक्रिया को शुरूआत में 2 मिनट करिए
- फिर धीरे-धीरे इसका समय बढ़ाए
क्या है फायदे
- विचारो और मन में पॉज़िटिविटी बढ़ती हैं।
- गला खराब, बलगम, ठंड़ लगने जैसी समस्याओं में मददगार है।
- चिंता, डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों को कम करता है।
- शरीर में अनियंत्रित हार्मोन्स को संतुलित करता है।
- पेट से जुड़ी परेशानी से आराम देता है।
सावधानियां
इस प्राणायाम को हमेशा खाली पेट करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी प्राणयाम का समय एक साथ नहीं बढ़ाना चाहिए। सुबह और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम करना अच्छा होता है। प्राणायाम करते समय सांस लेते समय पेट और सीने को ज़्यादा न फुलाएं। सबसे ज़रूरी बात हाई बीपी और दिल संबंधी बीमारियों के रोगियों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
अगर बार-बार मौसम के बदलाव होने पर छोटे-छोटे बीमारियों से बचना है, तो सूर्यभेदन प्राणायाम आपके के लिए फायदेमंद है।
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