5 योगासन करें अनाहत चक्र को संतुलित

5 योगासन करें अनाहत चक्र को संतुलित

एक-दूसरे के प्रति प्रेम और करूणा का भाव रखता है
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चक्र योग पूरे मानव शरीर का शक्तिकुंज है। इसमें शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों ही क्रियाएं शामिल हैं। ये चक्र न केवल शरीर को ऊर्जा और शक्ति देती है, बल्कि हमारे मन, भावनाओं और आत्मा को शुद्ध भी करता है।

चौथा चक्र – अनाहत

सात चक्रों में शरीर का चौथा चक्र सबसे अहम है, जो भावनाओं को संतुलित रखकर प्रेम की भावना को बढ़ाता है। इस चक्र को संतुलित रखकर व्यक्ति चिंता, भय, अहंकार जैसी भावनाओं से दूर रह सकते हैं। हृदय चक्र व्यक्ति को अपने और दूसरों के साथ प्रेमपूर्ण संबंध विकसित करने में मदद करता है। अनाहत चक्र बिना शर्त प्यार, करुणा, सहानुभूति, क्षमा और दया की ऊर्जा को बढ़ता है। इसका रंग हरा होता है और यह छाती के बीच में होता है।

जब अनाहत चक्र खुला होता है, तो व्यक्ति आशावादी, प्यार और खुद पर विश्वास करने के लिए प्रेरित महसूस करता है। आपसी रिश्तों को पूरा करना आसान हो जाता है, क्योंकि हम दूसरों के प्रति अधिक दयालु और समझदार हो जाते हैं।

योग से अनाहत चक्र को जाग्रत करना

अनाहत चक्र का तत्व वायु है। वायु विस्तार और स्वतंत्रता का प्रतीक है। प्यार और करूणा जो बिना किसी रोक-टोक केवल देने को तैयार रहता है। वायु शारीरिक रूप से स्पर्श की भावना और प्यार, करूणा से जुड़ा होता है। जब यब चक्र असंतुलित होता है, तो भावनात्मक रूप से व्यक्ति दूसरों के प्रति अधिक ईर्ष्या या गुस्सा का या फिर डर जैसे भाव को अनुभव करता हैं। शारीरिक रूप से कमर और कंधों की परेशानी होती है। इसे संतुलित करके आप अपने जीवन में प्रेम को आकर्षित करते हैं और दूसरों के प्रति सहानुभूति का अनुभव करते हैं।

उष्ट्रासन (कैमल पोज़)

उष्ट्रासन
यह आसन कमर और कंधो को मज़बूत बनाता है | इमेज : फाइल इमेज

यह आसन संस्कृत के दो शब्द से मिलकर बना है, उष्ट्रा का अर्थ ऊंट और आसन का अर्थ मुद्रा होता है। इस आसन में शरीर के सभी अंगों को मोड़कर ऊंट जैसी आकृति बनाई जाती है। इसलिए इसे अंग्रेजी में कैमल पोज़ के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन से सभी अंतः स्रावी ग्रंथियां सक्रिय होती है और आरोग्य एवं आनंद प्रदान प्राप्त करती है। इस आध्यात्मिक चक्र के सक्रिय होने से व्यक्ति की ऊर्जा, चेतना व भावनाओं का विस्तार होता है। यह आसन कमर और कंधो को मजबूत बनाता है साथ ही रीढ़ की हड्डियों में लचीलापन लाता है। 

चक्रासन (व्हील पोज़)

चक्रासन
शरीर की संतुलन शक्ति को बढ़ाने में कारगर | इमेज : फाइल इमेज

यह योगासन दो शब्दों से मिलकर बना है चक्र का अर्थ पहिया और आसन का अर्थ मुद्रा है। चक्रासन का अभ्यास करते समय शरीर की आकृति चक्र के समान दिखाई देने लगता है, इसलिए इसे चक्रासन कहते हैं और अग्रेंजी में व्हील पोज़ कहा जाता है। इसका अभ्यास करने से कंधे ,कमर ,पैर,हिप्स और जांघो को मज़बूती प्रदान करता है। ये आसन शरीर में मौजूद चक्रों मणिपुर ,अनाहत ,विशुद्ध, आज्ञाचक्र को प्रभावित कर कुंडलिनी जागरण में सहायता करता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन दिमाग की और होने लगता है, जिससे व्यक्ति शांत और तनावरहित महसूस करता है। शरीर की संतुलन शक्ति को बढ़ाने में ये आसन विशेष कारीगर है।

भुजंगासन (कोबरा पोज़)

भुजंगासन
कमर की मांसपेशियों में खिंचाव होता है | इमेज : फाइल इमेज

इस योग का पहला शब्द भुजंग का अर्थ सर्प और आसन का अर्थ मुद्रा होता है। इस योगासन को सर्पासन और कोबरा पोज़ भी कहा जाता है। इसका अभ्यास करते समय व्यक्ति की शरीर रचना, फ़न फैलाये हुये सर्प की तरह दिखती है। सूर्य नमस्कार की 12 स्थितियों में से भुजंगासन का अभ्यास आठवीं स्थिति में किया जाता है। इसका अभ्यास करते समय कमर की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। नियमित भुजंगासन करते रहने से मन शांत रहता हैं, गुस्सा कम आता हैं और तनाव व चिंता भी दूर होती हैं। इसके साथ ही भावनाओं में बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

सेतु बंध सर्वांगासन (ब्रिज पोज़)

सेतु बंध सर्वांगासन
पूरे शरीर को आराम देता है | इमेज : फाइल इमेज

संस्कृत शब्द “सेतु बंधासन” तीन शब्दों सेतु + बंध + आसन से मिलकर बना है। सेतु का अर्थ होता है पुल ,बंध का अर्थ बांधना या ताला लगाना और बने रहने की स्थिति आसन कहलाती है। इस मुद्रा में व्यक्ति की शारीरिक आकृति एक पुल की तरह दिखाई देती है, इसलिए इस आसन को सेतु बंधासन कहते हैं। इस योगासन से हदय चक्र खोलने में मदद मिलती है। साथ ही व्यक्ति के पीठ, गर्दन और छाती को फैलाता है और पूरे शरीर को आराम देता है।

गोमुखासन (काउ फेस पोज़)

गोमुखासन
हृदय चक्र को खोलने में फायदेमंद | इमेज : फाइल इमेज

यह संस्कृत शब्द गो+मुख+आसन तीन शब्दों से बना है। जिसका गो का अर्थ गाय और चेहरे को मुख के नाम से संबोधित किया जाता है। इस आसन का अभ्यास करते समय व्यक्ति के शरीर की आकृति गाय के चेहरे के समान दिखाई देती है। इसी कारण यह आसन गोमुखासन के नाम से जाना जाता है। इसे काउ फेस पोज़ के नाम से भी जाना जाता है। हृदय चक्र को खोलने में मदद करने के लिए आसन बहुत ही फादेमंद है। इस आसन के अभ्यास से जैसे ही छाती के द्वार खुलते हैं और गहरी सांस लेते हैं। वैसे ही हृदय यानी की अनाहत चक्र में ऊर्जा उत्तेजित होती है। इस चक्र के खुलते ही मन में प्रेम और करुणा के का भाव आने लगते हैं।

इस सभी आसनों को करने के बाद अपने शरीर को शवासन में आराम करने दें। कम से कम पांच मिनट के लिए ध्यान में बैठें। जब भी आपको अपनी ऊर्जा को बढ़ाने और मूड को अच्छा करना हो, तो अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ऊपर बताए आसनों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। 

और भी पढ़िये : आयुर्वेदिक आहार क्या है? वात, पित्त और कफ में क्या खाएं, क्या न खाएं

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