मुश्किलें कुछ लोगों को तोड़ देती हैं, तो कुछ को इतना मज़बूत बना देती हैं कि अपने साथ ही आसपास के लोगों की ज़िंदगी भी संवारने में जुट जाती हैं। ऐसी ही कुछ बहादुर महिलाओं के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
सिंधुताई सपकाल
महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पिपरी मेघे गांव में जन्मी सिंधुताई ने अपनी ज़िंदगी में इतने दुख देखे हैं कि शायद कोई और होता तो कब का टूट चुका होता। बेटी होने के कारण मां तक उन्हें पसंद नहीं करती थी। गरीबी के कारण सिर्फ 10 साल की उम्र में खुद से 20 साल बड़े पति से ब्याह दी गईं। प्रेग्नेंट थी, तब पति ने घर से निकाल दिया। उन्होंने गौशाला में बेटी को जन्म दिया और अपना और बेटी का पेट भरने के लिए सड़कों पर भीख मांगने लगी। इसी दौरान उन्हें आसपास कई अनाथ बच्चे दिखें, जो उनकी तरह ही भीख मांगकर अपना पेट भरते थे। सिंधुताई ने गरीबी का बावजूद इन बच्चों को एक-एक करके अपनाती गई और भीख के पैसों से ही उनकी ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरतें पूरी करती गईं। अब वह 1400 से अधिक अनाथ बच्चों की मां है, इसलिए बच्चे उन्हें प्यार से माई कहते हैं। सिंधुताई ने इन बच्चों को न सिर्फ अपनाया, बल्कि पढ़ाने और शादी तक की ज़िम्मेदारी निभाई। 73 साल की उम्र में भी उनका काम बदस्तूर जारी है। इस काम के लिए उन्हें 500 से अधिक सम्मान मिल चुका है।
अदिति गुप्ता
हमारे समाज में औरतों से जुड़ें कई मुद्दे ऐसे ही जिन पर कम ही चर्चा होती है। उन्हीं में से एक है मासिक धर्म (पीरियड्स)। इसे लेकर न सिर्फ कई तरह के अंधविश्वास है, बल्कि इस दौरान किस तरह हाइजीन का ध्यान रखा जाना चाहिए और इसका सेहत पर क्या असर हो सकता है, इस बारे में भी अधिकांश लड़कियों/महिलाओं को जानकारी नहीं है। मासिक धर्म आज भी एक टैबू है और झारखंड की अदिति गुप्ता ने इसी टैबू को तोड़ने के लिए मेंस्ट्रुपीडिया कॉमिक्स की शुरुआत की। जिसमें महिलाओं के पीरियड्स से जुड़ी गलतफमियों और उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखने की जानकारी दी जाती है।
अदिति ने अपने पति तुहिन पॉल के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की। 2012 में मेंस्ट्रुपीडिया बेवसाइट भी लांच कर चुकी हैं। इसमें चित्र के जरिए बातों को इतनी आसानी से समझाया गया है कि बच्चियों को अपने हर सवाल का जवाब मिल जाता है। उनकी कॉमिक्स कितनी पॉप्युलर हो गई है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका 161 भाषाओं और 12 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।
मेहविश मुश्ताक
कश्मीर की मेहविश मुश्ताक पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर हैं। उन्होंने 2013 में कश्मीर का पहला एंड्रॉएड ऐप बनाया जिसका नाम है ‘डायल कश्मीर’। यह ऐप कश्मीर के स्कूल, अस्पताल, रेलवे, नमाज़ पढ़ने के समय जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां देता है। यह अस्पताल, स्कूल आदि के एड्रेस, फोन नंबर जैसी ज़रूरी जानकारी देता है। लॉन्च होते ही यह ऐप बहुत पॉप्युलर हो गया और अब तक गूगल प्लेस्टोर से 10,000 बार डाउनलोड किया जा चुका है और इसे 4.5 की रेटिंग दी गई है। इस बेहतरीन काम के लिए मेहविश को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ. कृति करंत
कर्नाटक की रहने वाली डॉ. कृति एक संरक्षणवादी वैज्ञानिक हैं। जो पिछले 20 सालों से वन्य जीवों के सरंक्षण, सरंक्षण के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने, जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने के कारण, वन्यजीवो और इंसानों के टकराव के मुद्दे पर रिसर्च कर रही हैं। इतना ही नहीं उन्होंने जंगली जानवरों और इंसानों के टकराव को रोकने और जानवरों से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बीमा क्लेम दिलाने में भी की है। डॉ. कृति अब तक 10000 से परिवारों को क्लेम दिला चुकी। बेहतरीन काम के लिए डॉ. कृति को साल 2019 में वुमन ऑफ डिस्कवरी अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
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