हम अक्सर कह देते है कि लोग हमें नहीं समझते, तो क्या हम में कोई कमी है? लेकिन बहुत बार ऐसा नहीं होता। जानिए इस कहानी से जो बताती है कि सही जगह कैसे मिलती है।
कहानी
मनीष के पिता काफी बूढ़े हो चुके थे, और बीमार भी रहते थे। एक दिन उन्होंने मनीष को बुलाया और एक पुरानी सी घड़ी देते हुए कहा, ‘बेटा, ये घड़ी 200 साल पुरानी है। मेरे पिता ने मरने से पहले मुझे दी थी, और अब मैं इसे तुम्हें देना चाहता हूं’। फिर उन्होंने मनीष को कहा कि, वो जाकर किसी घड़ी वाले से पता करे, कि वो इसे कितने में खरीदेगा। मनीष ने पता कर के बताया कि वो घड़ी 200 रुपयों में बिकेगी, क्योंकि वो बहुत पुरानी है। फिर पिता के कहने पर वो एक कॉफी की दुकान पर गया और उसने पूछा कि क्या उस घड़ी के बदले उसे एक कॉफी और सैंडविच मिल सकेगा, जिस पर दुकानदार ने कहा कि, उस घड़ी के बदले मनीष को सिर्फ एक कप कॉफी मिल सकेगी, क्योंकि वो घड़ी बेहद पुरानी है। मनीष ने घर जाकर अपने पिता को सारी बात बता दी।
घड़ी की कीमत कैसे चली पता?
फिर मनीष के पिता ने उसे म्यूज़ियम जाकर घड़ी की कीमत पता करते आने को कहा। मनीष मन ही मन चिड़चिड़ा रहा था क्योंकि जितनी उस घड़ी की कीमत नहीं थी, उससे ज़्यादा पैसों का पेट्रोल तो वो उसकी कीमत पता करने के लिए लगा चुका था। लेकिन वो अपने पिता का कहा टालना नहीं चाहता था, इसलिए म्यूज़ियम पहुंचा और उस पुरानी घड़ी की कीमत पूछी लेकिन जवाब सुन कर वो दंग रह गया। म्यूज़ियम ने उस पुरानी घड़ी के बदले 5 लाख रुपये देने का ऑफर दिया। वो तुरंत अपने पिता के पास गया और सारा हाल सुनाया।
कहानी से सीख
यह सारी बात सुन कर उसके पिता ने समझाया कि हर चीज़ की एक सही जगह होती है, जहां उसकी अहमियत समझी जाती है। वैसे ही हर व्यक्ति की भी एक सही जगह होती है, जहां लोग उसकी अहमियत समझते है। इसलिए जीवन में अगर आपको लगे कि किसी जगह आपकी अहमियत नहीं समझी जा रही है, तो परेशान न हो। ज़रूरी नहीं कि कमी आपके अंदर हो, हो सकता है कि वे लोग आपके लिए न बने हो।
जीवन में अपने लिए ‘जगह ढ़ूंढ़े सही’
- सही लोगों के बीच रहें, जहां अपके गुणों की अहमियत समझी जाएं।
- अगर कोई आपको नज़रअंदाज़ करे, तो परेशान न हो, शायद वो जगह आपके लिए नहीं हो।
और भी पढ़िये : बाल दिवस- अद्भुत प्रतिभा के धनी बच्चे
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।