हर कोई कह देता है कि खुश रहा करो तो हम सोचते हैं कि ‘खुश तो है’, फिर कौन सी खुशी की बात कर रहे हैं। ये खुशी है मन में महसूस की जाने वाली, जिसकी चमक चेहरे पर खुद-ब-खुद झलकने लगती है। वैसे आपको बता दे कि जब आप मन से खुश होते हैं, तो उसका असर सेहत पर भी पड़ता है। इसके कई वैज्ञानिक प्रमाण है, जिसे आप बिल्कुल नज़रअंदाज नहीं कर सकते।
खुशी से मिलता है स्वस्थ शरीर
खुशी आपके दिल का रखती है ख्याल
ऐसा माना जाता है कि खुश रहने से आपका बीपी और हार्ट रेट कम रहता है। पबमेड के एक शोध के मुताबिक, ऐसे 76 लोग जिनको दिल की धमनियों का रोग था, टेस्ट के दिन अगर वो खुश थे, तो उनकी हार्टबीट बाकी दिनों के मुकाबले बेहतर थी।
ऐसे ही साल 2010 में हुए कनाडा के ‘नोवा स्कोर्टिया हेल्थ सर्वे’ से पता चला है कि खुश रहने वाले लोग अगले दस सालों तक हृदय संबंधी रोगों से खुद को बचा सकते हैं। इस अध्ययन में 2000 कनाडा निवासियों की जब फिर दस साल बाद जांच की गई तो पता चला कि खुश रहने के हर एक पैमाने में बढ़ोतरी होने से हर व्यक्ति के दिल संबंधी रोग होने का 22 प्रतिशत रिस्क कम हुआ।
तनाव का कर सकते हैं मुकाबला
तनाव से बढ़ने वाले हार्मोंस और ब्लड प्रेशर को खुश रहने से कम किया जा सकता है। साल 2009 में हुए एक शोध के अनुसार शोधकर्ताओं ने कुछ सायकलॉजी पढ़ने वाले छात्रों को एक साउंडप्रूफ चेंबर में बंद कर दिया और खुशी और उल्लास जैसी 10 भावनाओं के बारे में पूछा गया कि वह कैसा महसूस कर रहा है। इसके बाद वीडियो रिकॉर्ड करते हुए उनसे कुछ स्टैटिस्टिक सवाल पूछे और उनसे कहा गया कि उनके प्रोफेसर इन जवाबों का आंकलन करेंगे। इस दौरान उनके दिल की धड़कनों को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की मदद से देखा जा रहा था। ऐसी स्थिति में पाया गया कि जो खुशमिज़ाज छात्र थे, उन्होंने अपने स्ट्रैस को जल्दी काबू में कर लिया।
डिप्रेशन को किया जा सकता है कम
2015 में पबमेड में प्रकाशित शोध में डिप्रेशन के लक्षण वाले लोगों को प्राइमरी हेल्थ केयर सेटिंग में उनके खुश रहने के स्तर को बढ़ाने के लिए बुलाया गया। इस प्रोग्राम में उनकी खुशी के काम करवाए गए और उनके पास जो है उसके प्रति शुक्रगुज़ार होना सिखाया गया। इस प्रोग्राम के खत्म होने के बाद तीन और छह हफ्ते बाद का फॉलोअप किया गया। जिन लोगों ने प्रोग्राम और बाद में होने वाले दोनो फॉलोअप्स अटेंड किए, उनके स्वास्थ्य, जीवनशक्ति, मानसिक स्वास्थ्य और दैनिक गतिविधियों पर पॉज़िटिव प्रभाव पड़ा।
जीवन होता है लंबा
साल 2011 में एक शोध किया गया था, जिसमें 52 से 79 उम्र के 4000 लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें पाया गया कि 35 प्रतिशत खुशमिज़ाज लोगों में, दुखी रहने वाले लोगों के मुकाबले, अगले पांच सालों तक मरने की संभावना बेहद कम थी।
बीमारियों से लड़ने की ताकत में सुधार
ऑस्ट्रेलिया में साल 2008 के एक अध्ययन में 10,000 लोगों पर अध्ययन किया गया। इसमें पता चला कि जो लोग ज़्यादा समय खुश और संतुष्ट थे, उनको दूसरे लोगों की तुलना में लगभग 1.5 गुना कम लॉंग टाइम हेल्थ कंडीशन (जैसे गंभीर दर्द और आंखों की समस्या) होने के चांस कम थे।
खुश रहने के आसान तरीके
- रोज़ दस मिनट सैर ज़रूर करें।
- मनपसंद संगीत सुनें।
- दिन में 3-4 बार गहरी सांस लें।
- रोज़ थोड़ी देर कसरत के लिए समय निकालें।
- मेडिटेशन करें।
अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो खुश रहिए।
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