एनजीओ यानी एक गैर लाभकारी संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर काम करना है। एनजीओ में सरकार का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होता है। जिन्हें सरकार की ओर से आर्थिक मदद मिलती है उनका भी स्वतंत्र अस्तित्व होता है। चलिए आपको एनजीओ के बारे में विस्तार से बताते हैं।
एनजीओ की शुरुआत कब हुई?
ऐसा माना जाता है कि एनजीओ यानी गैर सरकारी संगठन दूसरे विश्व युद्ध के बाद प्रचलन में आए, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने इंटर-गर्वमेंटल स्पेशलाइज़्ड एजेंसी और निजी संगठनों के बीच अंतर की मांग की थी। माना जाता है कि पहला अंतरराष्ट्रीय एनजीओ संभवत: एंटी-स्लेवरी सोसाइटी थी, जिसका गठन 1839 में हुआ था। इसमें एक रोटरी की शुरुआत 1905 में हुई। अनुमान के मुताबिक, 1914 तक 1083 गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) बन चुके थे। हालांकि एनजीओ शब्द लोकप्रिय हुआ 1945 के बाद, जब नई गठित यूनाइटेड नेशनल ऑर्गनाइजेशन ने इसे आर्टिकल 71 के तहत यूनाइटेड नेशन चार्टर में शामिल किया। इसमें भले ही सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता, लेकिन एनजीओ सरकारी मदद मांग सकता है। 20वीं सदी के दौरान पूरे देश में इसका तेजी से विकास हुआ।

समाज के विकास में भूमिका
किसी भी देश में सरकार के लिए सभी सामाजिक मुद्दों को हल कर पाना संभव नहीं होता, ऐसे में यह काम एनजीओ करता है। इसका मुख्य रूप से मानवीय मुद्दों, पर्यावरण, महिलाओं और बच्चों की सामाजिक समता, गरीबों को न्याय दिलाने, समाज के पिछड़े और ज़रूरतमंद लोगों को सामाजिक व आर्थिक मदद मुहैया कराने तक सब काम करता है। भारत में भी बहुत से एनजीओ हैं, जो अलग-अलग तरह से समाज सेवा का काम कर रहे हैं, कोई अनाथ बच्चों को शिक्षित कर रहा है, तो कोई शोषण का शिकार महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखा रहा है।
किसी भी देश में सामाजिक न्याय और समानता लाने में एनजीओ की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। किसी भी क्षेत्र या राज्य के सही विकास के लिए लोगों को उनके अधिकार और कर्तव्यों के बारे में जागरुक करना ज़रूरी है और यह काम एनजीओ करता है। लिंग भेद और असमानता की खाई को कम करने के लिए लोगों को जागरुक करने और समाज में उपेक्षित महिलाओं में आत्मविश्वास जगाने से लेकर सामाजिक विकास तक में इसकी अहम भूमिका होती है।

फंड कहां से आता है ?
ये एक गैर लाभकारी संस्था होती है, लेकिन समाजिक सुधार के काम करने के लिए पैसों की ज़रूरत तो पड़ती है, ऐसे में इसे कई स्रोतों से धन की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसमें सरकारी मदद, निजी क्षेत्र या लोगों से मिला दान, कॉरपोरेट सेक्टर से मिली मदद शामिल है। कई एनजीओ फंड की कमी के कारण भी अपना काम ठीक से नहीं कर पाते, लेकिन एक बार स्थापित होने के बाद उन्हें विभिन्न स्रोतों से फंड मिल जाता है।
किसी भी सभ्य समाज में पिछड़े और गरीब तबके को भी विकास का समान हक मिलना ज़रूरी है और यह हक एनजीओ के जरिए उन्हें मिलता है।
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