साल 2020 में कोरोना ने चाहे लोगों को घरों में बंद कर दिया लेकिन कुछ लोगों ने समाज की भलाई के लिए जो काम किया है उसे भूला नहीं जा सकता।
आइये मिलते है कुछ ऐसे लोगों से
विनोद दीक्षित – मध्य प्रदेश
पुलिसकर्मी अक्सर चौबीस घंटे ड्यूटी पर रहते हैं और परिवार वालों के लिए समय नहीं निकाल पाते। लेकिन मध्य प्रदेश, इंदौर के एसएचओ विनोद दीक्षित समय निकालते हैं, वो भी एक ऐसे बच्चे के लिए जिसका पुलिस अफसर बनने का सपना पूरा हो सकें। बच्चे का नाम राज है, उसके पढ़ने का जज़्बा देख ऑफिसर विनोद खुद उसकी मदद करने के लिए आगे आए। वह रोज़ ड्यूटी खत्म होने के बाद एटीएम या पुलिस कार के पास उसे पढ़ाते हैं और साथ ही उसकी रोज़मर्रा की ज़रूरतें भी पूरी करते हैं।
यरेका आपटा और जोआना – ओडिशा
ओडिशा के भुवनेश्वर में एक ऐसी जोड़ी है, जिन्होंने शादी में कुछ ऐसा किया जो काबिल-ए-तारीफ है। इस नवविवाहित जोड़े यूरेका आपटा और उनकी पत्नी जोआना ने अपनी शादी के मौके पर दोस्तों और रिश्तेदारों को शानदार दावत देने की बजाय 500 बेजुबानों को खाना खिलाया। शादी से 2 दिन पहले दोनों एनिमल शेल्टर होम गए, वहां उन्होंने जानवरों के लिए दवाइयां और खाना दान किया। यूरेका आपटा इस नेक काम के ज़रिए अपनी मां को श्रद्धांजलि देना चाहते थे।
श्याम कुमार – केरल
अगर आपको शुद्ध हवा चाहिये, तो पेड़ लगाएं। यही कर रहे है केरल के 51 साल के ऑटो ड्राइवर श्याम कुमार। हर रोज़ अपने काम पर जाते हुए जेब में 25 बीज डाल लेते हैं। ऑटो चलाते समय जहां भी उन्हें सड़क के किनारे खाली जगह मिलती है, वह बीज बो देते हैं। इसके साथ ही पानी की भरी प्लास्टिक की बोतल में छोटा सा सुराख करके उसे बीज के पास रोप देते हैं ताकि बीज को पानी मिलता रहे। ये काम वह पिछले 20 साल से कर रहे हैं और अभी तक करीब 23 हज़ार पौधे रोप चुके हैं। पर्यावरण बचाने की इस मुहिम के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है।
बंगला साहिब गुरूद्वारा – दिल्ली
जब डॉक्टर इलाज के लिए कई तरह की टेस्ट लिख देते हैं तो उसके लिए हज़ारों रूपये खर्च करना किसी भी गरीब के लिए मुश्किल हो जाता है। इसी परेशानी को देखते हुए दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारे की कमिटी ने सस्ते टेस्ट की पहल की है। इसमें बिना किसी धार्मिक भेदभाव के जरूरतमंद लोगों का 50 रूपये में एमआरआई, 150 रुपये में एक्सरे, अल्ट्रा सांउड और 600 रुपये में डायलेसिस की सुविधा मुहैया कराई जाएंगी। इसके अलावा लोग सस्ते में दवाईयां भी ले सकेंगे। गुरूद्वारे के इस सेवाभाव को तहेदिल से सलाम।
प्रोफेसर साजी वर्गीज़ – बेंगलुरु
बेंगलुरू के क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी के प्रोफेसर साजी वर्गीज़ ने नारियल के पत्तों से एक ऐसा प्रोडक्ट तैयार किया, जो न केवल पर्यावरण के हित में था, बल्कि तटीय क्षेत्रों में ग्रामीण महिलाओं को इससे बड़े स्तर पर रोजगार भी मिला। प्रोफेसर साजी वर्गीज़ ने नारियल के सूखे पत्तों को मोड़कर स्ट्रॉ का रूप दिया, तो उन्हें इको फ्रेंडली स्ट्रॉ बनाने का आइडिया आया। उन्होंने इसे फूड ग्लू लगाकर चिपकाया और फिर बुनियादी मशीनरी की मदद से स्ट्रॉ बनाने शुरू किये। ये स्ट्रॉ 12 महीने तक रह सकती है और 6 महीने पानी में सही रहती है। ये इको फ्रेंडली स्ट्रॉ अमेरिका, आस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों समेत 25 देशों में निर्यात किए जा रहे हैं। इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए वर्गीज अब इसे जल्द ही ऑनलाइन लाने वाले हैं।
अगर इनकी तरह हर कोई अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं तो समाज को बेहतर बनाया जा सकता है।
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