जब सीखने की चाह हो, तो उम्र की कोई पाबंदियां नहीं होती। इस बात को दुनिया में कई लोगों ने साबित भी करके दिखाया है। उन्होंने उस उम्र में सीखना शुरू किया था, जब लोग रिटायरमेंट के बारे में सोचने लगते हैं। कुछ ऐसी ही प्रेरणा दे रही है भागीरथी अम्मा। उन्होंने 105 साल की उम्र में चौथी क्लास की परीक्षा देकर उन सभी को प्रेरित किया है, जो बढ़ती उम्र के पड़ाव में सीखने की चाह को दबा देते हैं।
कौन है भागीरथी अम्मा?
केरल की रहने वाली 105 साल की भागीरथी अम्मा हमेशा पढ़ना चाहती थी। शायद यही वजह है कि उम्र का शतक पार करने के बाद भी उन्होंने इस जज़्बे को हमेशा बनाए रखा। 19 नवंबर 2019 को चौथी क्लास की परीक्षा देकर उन्होंने इस हिम्मत को साबित करके भी दिखाया।
इस उम्र में पढ़ने की वजह
भागीरथी अम्मा को बचपन में पढ़ने का मौका ही नहीं मिला। आठ साल की छोटी उम्र में पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते अपने भाई बहनों को संभालने के बोझ भागीरथी पर आ गया। इस वजह से उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा।
फिर शादी के बाद पति की असमय मृत्यु के बाद छह बच्चों का पालन पोषण में वह इतनी व्यस्त हो गई कि पढ़ाई करने का मौका ही नहीं मिला। जीवन की दौड़भाग में पढ़ाई करने की कसक उनके मन में हमेशा थी। उम्र के इस पड़ाव में जब उन्हें मौका मिला, तो उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाया।
बनी प्रेरणा की मिसाल
जो काम भागीरथी अम्मा ने करके दिखाया है, शायद इसे करने की हिम्मत बहुत लोग नहीं कर सकते। उम्र के इस दौर में भी उनकी देखने और सुनने की शक्ति बरकरार है। इसे पूरा करने में केरल साक्षरता मिशन ने उनका पूरा साथ दिया। साथ ही परिवार के हौसले ने उन्हें आज भारत की सबसे बुजुर्गं छात्रा का दर्जा दिला दिया।
किसी ने सच ही कहा, “ जब सीखने की चाह हो, तो उम्र या शारीरिक परेशानियां कभी बाधा नहीं बन सकती। “
इमेज : गल्फ न्यूज़
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