दरअसल, दया का भाव अपने आप में ढ़ेर सारी भावनाओं को समेटे होता है। यह आपको न सिर्फ खुशी और आत्म संतुष्टि देता है, बल्कि जीवन के प्रति पॉज़िटिव नज़रिया भी समझाता है। दयालु बनने के बाद आपको दूसरों के सुख और सफलता से ईर्ष्या नहीं, बल्कि खुशी होगी और यह खुशी आपके चेहरे पर हमेशा संतुष्टि का भाव लाएगी।
दयालु होने के फायदे
दयालु बनने पर आप ईर्ष्या, क्रोध, अहंकार जैसी नकारात्मक भावनाओं से कोसों दूर हो जाते हैं और बस दूसरों की खुशी में ही अपनी खुशी तलाश लेते हैं। दयालु होने का मतलब सिर्फ किसी की आर्थिक या शारीरिक मदद करना ही नहीं होता, बल्कि किसी को देखकर मुस्कुराना, किसी को प्रोत्साहित करना, तारीफ में तो प्यार भरी बातें कह देना, परवाह करना, प्यार जताना सब दया की भावना से जुड़े हुए हैं।
खुशी का एहसास
दूसरों की मदद करके या दूसरों को प्रोत्साहित करने पर हमें खुशी का एहसास होता है और इससे मस्तिष्क में डोपामाइन हार्मोन का स्राव होता है। ये हैप्पी हार्मोन है जो आपको खुशी का एहसास कराता है।
चेहरे पर दिखती है खुशी
जब आप दिल से किसी की मदद करते हैं, बिना किसी स्वार्थ के तो वो खुशी आपके चेहरे पर भी झलकती है, यानी अंदर की खुशी और संतुष्टि चेहरे की चमक बढ़ा देती है।
एंग्ज़ाइटी दूर होती है
चिंता और परेशानी का भाव किसी की मदद करने से दूर हो जाता है। यह बात कई अध्ययनों में भी साबित हो चुकी है। एक बार दयालु बनकर तो देखिए आपका तनाव और चिंता पूरी तरह से छूमंतर हो जायेंगे।
संक्रामक होता है दया का भाव
दयालु होना सिर्फ आपके लिए और उस इंसान के लिए ही फायदेमंद नहीं होता जिसकी आप मदद कर रहे हैं, बल्कि इसे देखने वाले के लिए भी यह अच्छा होता है। आपकी दयालुता देख उसमें भी दया का भाव उत्पन्न होता है, इस तरह से दयालुता एक से दूसरे इंसान तक फैलती चली जाती है और यह सभी को खुशियां देती है।
दयालु बनने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है कि आप अपने आसपास ज़रूरतमंद या पीड़ित लोगों की पहचान कर सकें। जैसे- रोड क्रॉस करते किसी बुज़ुर्ग की मदद के लिए उसके हाथ पकड़ लें या उनका भारी सामान उठा लें। दिल से किसी की तारीफ, किसी को ये एहसास दिलाना की वह आपके लिए कितना स्पेशल है, सब दयालु इंसान ही कर सकता है। यदि आप यह सब करते हैं तो यकीनन आप दयालु हैं।
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