स्कूल के फाइनल एग्ज़ाम में करण के 96% और अर्जुन के 69% अंक आये। अगर हम आपसे पूछें कि आपकी नज़र में इंटेलीजेंट कौन है, तो आप में से ज़्यादातर लोगों का जवाब होगा कि करण ज़्यादा इंटेलीजेंट हैं। अगर अब हम आपसे पूछें कि लता मंगेश्कर और सचिन तेंदुलकर में से कौन ज़्यादा इंटेलीजेंट है, तब आप क्या कहेंगे? ज़्यादातर लोग कहेंगे कि इन दोनों की तुलना नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह दोनों अलग क्षेत्र से जुड़े हुये हैं। आज का लेख इसी बात पर आधारित है।
आज हम बात करेंगे ‘थ्योरी ऑफ मल्टीपल इंटेलीजेंस’ की, जिसे अमेरिका के डवलप्मेंट सायकलॉजिस्ट हॉवर्ड गार्डनर ने अपनी किताब ‘फ्रेम्स ऑफ माइंड’ के ज़रिये 1983 में दुनिया के साथ साझा किया था। इस थ्योरी के मुताबिक हर बच्चे का दिमाग अलग होता है, इसलिये उनका किसी भी चीज़ को समझने, करने या याद करने का तरीका अलग होता है।
चलिये, अब नज़र डालते हैं उन आठ तरह की इंटेलीजेंस मौडैलिटीज़ पर, जिसके बारे में गार्डनर ने अपनी थ्योरी में बात करते हुए एजुकेशन सिस्टम को चुनौती भी दी थी।
1. म्युज़िकल – रिदमिक व हार्मोनिक
जिन बच्चों में म्युज़िकल इंटेलीज़ेंस ज़्यादा होती है, वह साउंड्स, रिदम्स, टोन्स और किसी भी तरह के म्यूज़िक के प्रति सेंसिटिव होते हैं। वह किसी भी इंस्ट्रूमेंट को आसानी से बजाना सीख सकते हैं।
2. विज़ुअल – स्पेशियल
यह एक व्यक्ति के अंदर की कम्प्युटेशनल क्षमता होती है, जो समस्याओं को हल करने के साथ-साथ किसी भी वस्तु, चेहरे या दृश्य को अलग-अलग एंगल और स्पेसिस पहचानने में मदद करती है।
3. वर्बल – लिंगुइस्टिक
इस क्षमता के लोग शब्दों और भाषाओं का आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे लोग पढ़ने, लिखने, कहानी सुनाने, शब्दों और तारीखों को याद करने में स्पेशलिस्ट होते है।
4. लॉजिकल – मैथेमैटिकल
जिन लोगों में इस तरह की प्रतिभा होती है, वह लॉजिक, ऐब्स्ट्रैक्शन, रीज़निंग, नंबर्स और क्रिटिकल थिंकिंग में स्पेशलिस्ट होते हैं। ऐसे लोग किसी भी सिस्टम की कार्य और कारण प्रणाली व सिद्धांतों को बहुत ही सरलता से समझ लेते हैं।
5. बॉडिली – काइनेस्थेटिक
इस कुशलता के तहत व्यक्ति का अपने शरीर पर काफी कंट्रोल होता है। वह किसी भी वस्तु को बड़े स्किलफुल तरीके से पकड़ सकता है। ऐसे व्यक्तियों को टाइमिंग, गोल, व दूसरे फिज़िकल ऐक्शन और उनके लिए किए जाने वाले रिस्पॉंस की अच्छी पहचान होती है।
6. इंटरपर्सनल
ऐसी प्रतिभा वाले लोग दूसरों के मूड, फीलिंग्स, टेम्प्रामेंट, मोटिवेशन्स को अच्छे से समझ लेते हैं और इसकी मदद से एक ग्रुप की लीडरशिप कर सकते हैं।
7. इंटरापर्सनल
ऐसी प्रतिभा वाले लोगों के अंदर आत्मनिरीक्षण औऱ आत्म-चिंतन की क्षमताएं होती हैं। वह खुद को गहराई से पहचानते हैं और अपनी ताकत व कमज़ोरियों को भी भली-भांति समझते है।
8. नेचुरलिस्टिक
इस प्रतिभा को उन्होंने साल 1995 में प्रपोज़ किया था। ऐसे लोगों को फ्लोरा-फॉना समेत प्राकृतिक दुनिया की गहराई से पहचान होती है।
इसके बाद हॉवर्ड गार्डनर दो और मौडैलिटीज़ को जोड़ने की बात की थी – एग्सिसटेंशल इंटेलीज़ेस और एडिश्नल इंटेलीजेंस, जिनके बारे में दूसरे रिसर्चर्स ने आगे एक्सप्लोर किया है।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हर बच्चा अलग होता हैं, इसलिए अपने बच्चे की प्रतिभा को उभारने में उसकी मदद करें और उसे सही दिशा दिखायें।
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