इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कारण घर में बंद है, लेकिन एक समय ऐसा भी आएगा, जब कोरोना खत्म होने के बाद भी हमारे जीवन में नया बदलाव बना रहेगा। इन बदलावों का हम जीवन भर पालन करते रहेंगे।
लोगों से रहेगी सुरक्षित दूरी
पहले हम जब भी अपनों से मिलते थे, तो गले मिलकर एक दूसरे से प्यार जताते थे। लेकिन कोरोना ने अब इस आदत को स्थायी तौर पर बदल दिया है। अब कोरोना से बचाव के लिए हम सभी को सुरक्षित दूरी अपनानी होगी। कोरोना के जाने के बाद भी लोग एक दूसरे से हाथ मिलाने में परहेज़ ही करेंगे। अब लोग हाथ जोड़कर नमस्ते करने जैसी भारतीय संस्कृति को अपनाएंगे।
हाथ की सफाई बार – बार
वायरस से खुद को सुरक्षित करने के लिये लोग जितने दिन घरों में बंद है, उनके अंदर साफ- सफाई की आदत में सुधार हुआ है। बार – बार हाथ धोने या सैनिटाइज़ करने की ये आदत कोरोना के बाद भी रहेगी। क्योंकि दिमाग एक चीज़ को जब लंबे समय से करता है, तो ये उनकी आदत बन जाती है इसलिये घर या बाहर कुछ भी छूने के बाद लोग अपने हाथों को अच्छे से साफ करेंगे।
मास्क और दस्ताने पहनने की रहेगी आदत
अब से लोग सेहत को लेकर और भी सजग हो जाएंगे। जो पहले छोटी- मोटी बीमारी पर इतना ध्यान नहीं देते थें। अब से सर्दी या खांसी होने पर मुंह पर मास्क लगाए रहेंगे ताकि उनके वजह से किसी दूसरे को परेशानी न हो।
इधर – उधर थूकने से बचेंगे
आमतौर पर कुछ लोगों की बुरी आदत होती है कि वे कहीं भी थूक देते थे। लेकिन जब से कोरोना वायरस के बारे में लोगों में जागरूकता फैली है और लॉकडाउन हुआ है तब से इस बुरी आदत में काफी सुधार आया है। जिससे अब सार्वजनिक स्वच्छता को बनाये रखने के लिये और इस महामारी के खत्म होने के बाद भी लोग इधर – उधर नहीं थूकेंगे, जो संक्रमण की बड़ी वजह है।
बच्चों की पढ़ाई हुई ऑनलाइन
इस वायरस के कारण दुनियाभर में स्कूल और यूनिवर्सिटीज़ ने कोशिश की है कि बच्चों की पढ़ाई का कोई नुकसान हो इसलिये उन्होंने ऑनलाइन क्लास लेना शुरु कर दिया। जिससे पढ़ाई के तरीकों में काफी बदलाव हुआ है। ऐसे में लॉकडाउन और हालात सुधरने के बाद भी बच्चों को क्लास रूम के बजाय ऑनलाइन क्लास से पढ़ाये जाने की संस्कृति बनेगी।
चीज़ों की अहमियत
कोरोना महामारी ने लोगों को चीज़ों की अहमियत सिखा दी है। रोज़मर्रा की जिन छोटी – छोटी चीज़ों जैसे आटा, दाल, सब्ज़ियां, दूध – दही आदि को लेकर लोगों ने कभी नहीं सोचा था कि इन चीज़ों की कभी कमी हो सकती है। पैसे होने के बावजूद लोग छोटी – छोटी चीज़ों को तरस रहे हैं। पार्क में आज़ादी से घूमना हो या बाज़ार में खरीददारी, इन बातों की अहमियत जीवन भर याद रहेगी।
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