बैलेंस लाइफ का मतलब यह नहीं है कि हर चीज़ परफेक्ट हो, बल्कि समय और प्राथमिकताओं के अनुसार अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करना ही असल में घर-ऑफिस के बीच बैलेंस बनाना है। सुकून भरी ज़िंदगी चाहते हैं, तो आपको भी अपने जीवन में संतुलन लाना होगा। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखें।
छोड़ दें परफेक्शन की चाह
सुबह 5 बजे उठना, थोड़ी देर वॉक, रेडी होकर ब्रेकफास्ट करना और ऑफिस जाना। रात को लौटने पर डिनर बनाना, 9 बजे खाना खाने के बाद सारे काम निपटाकर 10 बजे बेड पर लेटकर कोई बुक पढ़ना और सो जाना। सुनने में अच्छा लग रहा है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि आप हर दिन इसी रूटीन को फॉलो करें। इस रूटीन को फॉलो करना ही बैलेंस नहीं कहलाता, बल्कि इसमें थोड़े-बहुत बदलाव होने पर भी बिना तनाव के उसे मैनेज करना वर्क-लाइफ बैलेंस कहलाता है। हर कोई हर दिन परफेक्ट नहीं हो सकता, इसलिए यदि किसी दिन सुबह नहीं उठ पायें या रात को डिनर बनाने में लेट हो गया, तो इसका ये मतलब नहीं है कि बैलेंस बिगड़ गया।
सेहत को दें प्राथमिकता
घर और ऑफिस के काम से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण यदि कुछ है तो वह है, आपकी सेहत। जब आप स्वस्थ रहेंगे, तभी तो अपनी सारी ज़िम्मेदारियां निभा पायेंगे। इसलिए यदि कभी आपको एंग्ज़ाइटी या डिप्रेशन महसूस हो और लगे की साइकोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिये, तो बेझिझक अपना कोई काम छोड़कर डॉक्टर के पास जाये। कोई बीमारी होने पर पहले उसका इलाज ज़रूरी है, घर-ऑफिस का काम तो होता रहेगा। याद रखिए बैलेंस बनाने का मतलब सिर्फ घर-ऑफिस के काम समय पर निपटाना नहीं होता, बल्कि अपनी सेहत का ख्याल रखना भी है।
काम से प्यार
आपका जिस काम में मन नहीं लगता उसे कभी भी अच्छी तरह नहीं कर पायेंगे। ऐसा नहीं है कि हर इंसान अपनी नौकरी से बहुत प्यार करता है, लेकिन आप जो अभी कर रहे हैं उससे बिल्कुल भी संतुष्ट और खुश नहीं है, तो बेहतर होगा कि अपनी पसंद की नौकरी तलाशना शुरू कर दें, क्योंकि बेमन का काम करके कभी भी आप वर्क-लाइफ में बैलेंस नहीं बना पायेंगे।
कुछ देर के लिए अकेले रहे
पूरे दिन में कुछ देर के लिए खुद को लोगों और गैजेट्स से पूरी तरह दूर रखें। एकांत में मेडिटेशन करें इससे आप एनर्जेटिक महसूस करेंगे और अपनी ज़िम्मेदारियां ठीक से निभा पाएंगे। जब आपका मन शांत और स्थिर रहेगा, तो आप सही फैसले करेंगे और प्राथमिकता के अनुसार बिना स्ट्रैस के काम कर पायेंगे।
मी टाइम
दिन का आधा या एक घंटा सिर्फ अपने लिए निकाले और इस समय में सारी दुनिया को भूलकर कोई ऐसा काम करिये, जिससे आपको खुशी मिलती है। यह कुछ भी हो सकता है, पेटिंग करना, गार्डनिंग, एक कप चाय के साथ अपनी पसंदीदा बुक पढ़ना, डासिंग आदि। साथ ही रोज़ाना थोड़ी देर एक्सरसाइज़ के लिए समय ज़रूर निकालें, इससे शरीर और मन दोनों फिट रहेंगे।
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