स्वस्थ जीवन का आधार है स्वस्थ आदते, इसलिए बचपन से ही हमें साफ-सफाई, समय पर उठने जैसी अच्छी आदते सिखाई जाती है। लेकिन बड़े होने पर जाने-अनजाने हम कुछ ऐसी आदतों के शिकार हो जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है, मगर इस ओर कम ही लोगों का ध्यान जाता है। आइए, जानते हैं, मामूली नज़र आने वाली कौन-सी आदतें आपकी सेहत के लिए अच्छी नहीं हैं।
अकेलापन
वैसे तो अकेलापन किसी को पसंद नहीं आता है, लेकिन शहरी माहौल में कामकाज की व्यस्तता ने जाने-अनजाने लोगों को अकेला कर दिया है और धीरे-धीरे अकेले रहना उनकी आदत बन जाती है। एक शोध के मुताबिक, लंबे समय से अकेले रहने का असर व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य पर होता है। इसका सबसे ज़्यादा असर मस्तिष्क पर दिखता है। अध्ययन यह भी बताते हैं कि अकेलेपन का डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों से भी संबंध हैं। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में करीब 22% बुज़र्ग अकेले रहते हैं। यदि आप भी अकेले रहने के आदी हो चुके हैं, तो अब दोस्तों और परिवार के साथ रहना सीख लीजिए।
पौष्टिक आहार की कमी
स्वस्थ रहने के लिए रोज़ाना पौष्टिक आहार ज़रूरी है, लेकिन बहुत से लोग घर का बना शुद्ध और सादा भोजन करने की बजाय प्रोसेस्ड, जंक फूड और ज़्यादा मीठा व नमक वाला बाहर का खाना पसंद करते हैं। यही नहीं कई लोग तो अपने रोज़ाना के आहार में फल और सब्ज़ियों की भी पर्याप्त मात्रा शामिल नहीं करते हैं, जिससे शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। स्वस्थ भोजन न करने की आदत ही मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार है। खासतौर पर शहरों में जहां ब्रेड, फ्लेक्स, मूसली जैसी चीज़ें लोग ज़्यादा खाते हैं वहां मोटापा अधिक है।

निष्क्रिय जीवनशैली
यदि आप सचमुच सेहतमंद रहना चाहते हैं तो खुद को सक्रिय रखें। माना कि दिनभर कंप्यूटर या लैपटॉप स्क्रीन पर बैठे रहना आपकी मज़बूरी और ज़रूरत है, लेकिन सुबह-शाम थोड़ा समय निकालकर कसरत, सैर, योग आदि ज़रूर करें। साथ ही काम के बीच में भी कुछ देर का ब्रेक लेकर चहलकदमी कर लें और आंखों को स्क्रीन से हटाकर आराम दें। लगातार बैठे रहने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
नींद की कमी
देर रात तक लैपटॉप या मोबाइल स्क्रीन पर व्यस्त रहने की वजह से यदि आपको नींद नहीं आ रही है, तो समझ लीजिए कि यह आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। दरअसल, स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी से आंखों का तनाव बढ़ता है, दृष्टि धुंधली होती है और मोतियाबिंद की भी समस्या हो सकती है। आंकड़ों के मुताबिक, देश में करीब 33% व्यस्क अनिद्रा के शिकार है, यानी उन्हें रात में ठीक से नींद नहीं आती है। तो आप यदि चैन की नींद सोना चाहते हैं तो सोने से करीब 1 घंटे पहले सभी तरह के गैजेट्स से दूरी बना लें और मेडिटेशन करके सोएं।
निराशावादी रवैया
कुछ लोग मुश्किल समय में भी मुस्कुराते रहते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो हमेशा मायूस रहते हैं, चाहे उनकी ज़िंदगी में सबकुछ अच्छ ही क्यों न चल रहा हो। ऐसे लोगों का निराशावादी रवैया सेहत के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि उनका निगेटिव एटीट्यूड तनाव बढ़ाकर उन्हें बीमारियों का शिकार बना सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि हमेशा सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया जाए।
तो आप यदि स्वस्थ रहना चाहते हैं तो स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, अच्छा खाएं, अच्छा सोचें और खुश रहें।
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