‘कितना उधम मचा रखा है इन बच्चों ने, ज़रा थोड़ी देर इन्हें टीवी का रिमोट देदो’।
‘मम्मी मैं बोर हो रहा/रही हूं, टीवी देख लूं’। …
क्या आपने कभी इस तरह की बात बोली या सुनी है? मुमकिन है कि कभी न कभी तो ऐसा हुआ ही होगा, खासतौर से इस कोरोना काल में, जब बच्चे घर से बाहर नहीं निकल सकते और उन्हें अपना सारा दिन घर की चारदीवारी में ही बिताना होता है। आप जब टीवी या मोबाइल देकर बच्चे को शांति से बिठाने की बात करते हैं तो शायद ही आपके दिमाग में इसके दुष्परिणाम के बारे में आता होगा और अगर आता भी होगा तो शायद आप अभी तक इसकी गंभीरता को नहीं समझ पाए होंगे। तो चलिए, आपको बताते हैं कि ज़रूरत से ज़्यादा स्क्रीन-टाइम आपके बच्चे के विकास में कैसे बाधा डाल रहा है।
बच्चों का टीवी-मोबाइल के इस्तेमाल पर की गई रिसर्च
बच्चों पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल से होने वाली परेशानियों को समझने के लिए एक रिसर्च की गई है। शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि जो बच्चा टीवी, मोबाइल, गेमिंग कंसोल आदि का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करता है, उस पर 5 साल के बाद मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है। ‘फिन्निश चाइल्ड-स्लीप लॉंगीट्यूडनल बर्थ कोहोर्ट’ नाम का एक अध्ययन किया गया। इसमें अभिभावकों से सवाल किए जाते थे, जिससे बच्चे के स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सेहत के बारे में उसके जन्म से पहले यानि 32वें हफ्ते से पांच साल की उम्र तक के बारे में जाना जाता रहा। इस अध्ययन के अंतिम विश्लेषण में 333 लड़कियां और 366 लड़के शामिल किए गए, जिनका डाटा 18 महीने की उम्र से मौजूद था।
चौंकाने वाली बातें आई सामने
18 महीने का बच्चा दिन में कम से कम 32 मिनट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल कर रहा था और 5 साल का होते-होते वह 114 मिनट प्रतिदिन टीवी, मोबाइल या गेमिंग कंसोल का इस्तेमाल कर रहा था। 5 साल की उम्र में 67% बच्चे एक घंटे से ज़्यादा टीवी देख रहे थे और 11% बच्चे एक घंटे से ज़्यादा गेम खेलते थे। यह आंकड़े काफी चौंकाने वाले थे, क्योंकि 5 साल तक के बच्चों को कुल मिला कर एक घंटे से ज़्यादा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
क्या अब आप सोच रहे हैं कि आपका बच्चा कितनी देर टीवी, मोबाइल या गेमिंग कंसोल से ज़ुड़ा रहता है। कुछ बच्चे तो पहले टीवी देखते हैं, फिर मोबाइल की बारी आती है और फिर गेम भी खेलते हैं। ज़रा सोचिए कि कितना खतरनाक हो सकता है यह आपके बच्चे के लिए।
बच्चों को हो सकती हैं मनोवैज्ञानिक परेशानियां
- भावनात्मक परेशानी
- व्यवहार संबंधी परेशानी
- किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने का समय कम होना
- अतिसक्रियता (यानी हायपरएक्टिविटी)
- दोस्ती करने और दोस्त बनाएं रखने में परेशानी
जो समय बच्चे को अपने परिवार के साथ बिताना चाहिए, किताबें पढ़नी चाहिए, खेलना चाहिए, वह समय बच्चा टीवी-मोबाइल पर बिता देता है। इसका परिणाम शायद आपको तुरंत तो न दिखें, लेकिन बाद में परेशानियां नज़र आती है। बच्चे ऑनलाइन पढ़ रहा हो लेकिन बहुत समय तक बच्चों को टीवी, मोबाइल या लैपटॉप के सहारे न छोड़े। तो अगली बार आप अपने बच्चे को शांत बिठाने के लिए टीवी का रिमोट या मोबाइल दें, तो इस लेख के बारे में ज़रूर सोचे।
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