पिछली आधी सदी से प्लास्टिक हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। फर्नीचर से लेकर किराने की थैलियों तक, वाहन के पार्ट्स से लेकर खिलौनों तक, प्लास्टिक हमारे जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा बन गया है। हालांकि हमारी ज़िंदगी में महत्वपूर्ण होने के बावजूद इसे बड़े विनाश और नुकसान के रूप में देखा जाने लगा है।
क्या कहती है स्टडी ?
अध्ययनों से पता चलता है कि हर साल लगभग 127 लाख टन प्लास्टिक कचरा समुद्र में जाता है। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम का अनुमान है कि महासागरों में पहले से ही करीब 51 लाख करोड़ माइक्रोप्लास्टिक कण हो सकते हैं। महासागरों में मौजूद प्लास्टिक के टुकड़ो की संख्या इतनी विशाल है कि इसे “7 वां महाद्वीप” कहा जाता है। अगर ऐसा ही रहा तो, साल 2050 तक महासागरों में मछली की तुलना में प्लास्टिक ज़्यादा होगा।
वाइल्ड लाइफ पर भारी वार
-छोटी मछलियों से लेकर ब्लू व्हेल तक, हज़ारों समुद्री जीव प्लास्टिक खाने से मौत की चपेट में आते हैं।
-समुद्री कछुए तैरते प्लास्टिक को भोजन समझने की गलती कर सकते हैं और उसे खाने से उन्हें आंतरिक चोटें आ सकती हैं या फिर वो मर सकते हैं। दुख की बात है कि, रिसर्च से पता चलता है कि दुनिया भर में समुद्री कछुओं के आधे हिस्से में प्लास्टिक भरा हुआ है।
-इतना ही नहीं समुद्री जानवर कई बार प्लास्टिक में उलझ जाते हैं और भूख या चोट के कारण मर जाते हैं।
इस बात की गंभीरता को समझते हुए पुणे के 12 साल के हाज़िक काज़ी ने एक शिप डिज़ाइन की हैं, जो समुद्र से प्लास्टिक को अलग कर के मरीन लाइफ को बचाने में मददगार होगी। काज़ी ने अपने जहाज का नाम “एर्विस” रखा है और उन्होंने अपने विचारों को टेडएक्स और टेड 8 जैसे प्लेटफार्मों पर अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के सामने प्रस्तुत भी किया है।
हाज़िक का कहना है कि मैंने कुछ डॉक्युमेंट्रीज़ के ज़रिये प्लास्टिक कचरे से समुद्री जीवों को होने वाले नुकसान को समझा। मुझे लगा कि मुझे कुछ करना होगा। हम जो मछली खा रहे हैं, वह समुद्र में प्लास्टिक खा रही है, इसलिए प्रदूषण का चक्र हमारे पास आता है। इसलिए, मुझे एर्विस बनाने का आइडिया आया।
कैसे काम करता है एर्विस?
एर्विस समुद्र के पानी को सोखकर समुद्री जीवन और कचरे को अलग करती है। समुद्री जीवन और पानी को वापस समुद्र में भेज दिया जाता है, जबकि कचरे को पांच और भागों में विभाजित किया जाता है। जहाज में लगा सेंसर, प्लास्टिक के कचरे को उसके आकार के अनुसार अलग कर देता है। नीचे की ओर जहाज के पतवार में लगे दूसरे सेंसर, समुद्री जीवन और पानी का पता लगा कर कचरे से अलग करते हैं।
इमेज: इंडिया टाइम्स
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