प्रदूषण से बचने की अनोखी पहल

प्रदूषण से बचने की अनोखी पहल

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शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इससे बचने के लिए ग्रेटर चेन्नई निगम ने साइकिल शेयरिंग की अनोखी शुरुआत की है। इस पहल में यात्री नज़दीकी जगह तक जाने के लिए किराए पर साइकिल ले सकते हैं।

तिरुमंगलम मेट्रो स्टेशन के अलावा चेन्नई शहर के कई और भी इलाकों में साइकिल शेयरिंग शुरू की है। फिलहाल 6 जगहों पर यात्रियों को 60 साइकिलें मिलेंगी, बाद में इसकी संख्या बढ़ाकर 250 की जाएगी। साइकिल शेयरिंग प्रणाली की शुरुआत का मकसद गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कम करना है। यदि चेन्नई की तर्ज पर बाकी जगह भी इस तरह की प्रणाली लाई जाये, तो शायद कुछ हद तक वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

बहुत खतरनाक है वायु प्रदूषण

कारखानों से निकलने वाली जहरीले गैसों से लेकर गाड़ियों के धुयें तक सब हवा को दूषित करते हैं और ऐसी हवा में सांस लेने से कई तरह की घातक बीमारियां हो सकती है। दिल्ली में गाड़ियों की बढ़ती संख्या के कारण हवा में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि वहां सांस लेना भी मुश्किल है। वायु प्रदूषण पर पूरी तरह से कंट्रोल कर पाना तो मुश्किल है, लेकिन यदि सब लोग थोड़ा-थोड़ा प्रयास करें, तो प्रदूषण को कम और हवा को सांस लेने लायक बनाया जा सकता है।

प्रदूषण से बचने की अनोखी पहल
साइकिल चलायें, प्रदूषण दूर भगाये  | इमेज: फाइल इमेज

क्या करें?

– गाड़ी का इस्तेमाल कम से कम करें। नज़दीक जाना हो, तो साइकिल से जायें। साथ ही गाड़ी का इंजन हमेशा चेक कराते रहे ताकि गाड़ी ज़्यादा धुआं न फेंके।

– अपने आसपास जितना हो सकते पेड़-पौधे लगायें क्योंकि पेड़-पौधे वातावरण की हवा को शुद्ध करते हैं।

– कुछ खास तरह के पौधे जैसे मनी प्लांट, एलोवेरा, स्नेक प्लांट, पाइन प्लांट, पीस लिली आदि हवा में मौजूद हानिकारक तत्व को खत्म करते है, इसलिए अपने घर में ऐसे पौधे लगाये।

– उद्योगपतियों को भी कारखाने की चिमनियों में फिल्टर लगवाना चाहिए ताकि हवा में प्रदूषण कम हो सके।

– फैक्ट्रियों को आबादी वाली जगह की बजाय एकदम दूर-दराज बनाया जाना चाहिए ताकि जहरीली हवा लोगों से दूर रहे।

– प्लास्टिक जलाने पर भी हवा में जहरीलें गैसे घुल जाती है, इस पर बैन लगाने की ज़रूरत है।

– डपिंग ग्राउंड आबादी से दूर बनाए जाने चाहिये।

वायु प्रदूषण शहरों में बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है, यदि जल्द ही इसे रोकने के लिए ठोक कदम नहीं उठाये गये, तो एक बड़ी आबादी सांस की बीमारी का शिकार हो सकती है।

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