आज़ाद हवा में सांस लेना हर किसी को अच्छा लगता है पर यह आज़ादी उन देश प्रेमियों की तरफ से उपहार हैं, जिन्होंने अपनी जान की कुर्बानी देकर अंग्रेज़ो के चंगुल से इस वतन को निकाला। इन्हीं देश प्रेमियों में से एक वो थे, जो बिना किसी शस्त्र के आज़ादी की लड़ाई लड़ते रहे, जिन्हें कोई महात्मा बुलाता है, कोई बापू तो कोई गांधी जी। महात्मा गांधी के देश प्रेम, सदमार्ग और अनेक उपलब्धियों की वजह से देश उन्हें राष्ट्रपिता मानता है। गांधी जी का जीवन हर व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है क्योंकि वह दुनिया में जहां भी रहे, अन्याय और भेदभाव के खिलाफ लड़ते रहे।
रंगभेद – दक्षिण अफ्रीका में पहला संघर्ष
साल 1892 में गांधी जी बैरिस्टर बनकर भारत वापस लौटे और वकालत का काम करना शुरू किया, जिसके बाद उन्हें एक केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उनका सामना भेदभाव और रंगभेद से हुआ और उन्हें रंगभेद के कारण अपमानजनक तरीके से ट्रेन से उतार दिया गया। इसी दौरान उनके साथ कई बार अश्वेत नीति के तहत बेहद बुरा बर्ताव हुआ, जिसके बाद उन्होंने रंगभेद के खिलाफ लड़ने का फैसला किया।
सबसे पहले उन्होंने वहां रह रहे प्रवासी भारतीयों के साथ मिलकर साल 1894 में नटाल भारतीय कांग्रेस बनाई और साथ ही इंडियन ओपिनियन अखबार निकालना शुरु किया। इसके बाद साल 1906 में उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी भारतीयों के लिए अवज्ञा आंदोलन शुरू किया, जिसे सत्याग्रह का नाम दिया गया। गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए नागरिक अधिकारों के लिए लड़ाई की और वह एक नए व्यक्ति में परिवर्तित होकर साल 1915 में भारत लौट आए।
अंग्रेज़ों के खिलाफ भारत में आंदोलन
जब गांधी जी वापस लौटे तो भारत अंग्रेज़ों की गुलामी सह रहा था। चारों तरफ गरीबी और भुखमरी फैली हुई थी। यही वो वक्त था जब गांधी जी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग लड़ने का फैसला किया और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
- अहिंसात्मक सत्याग्रह को अपना हथियार बनाकर उन्होंने सबसे पहले चंपारण और खेड़ा में किसानों का 25 फीसदी कर ज़मीदारों से वापस दिलाया।
- तुर्की के खलीफा पद की दोबारा स्थापना करने के लिए खिलाफत आंदोलन चलाया, जिससे हिंदू मुस्लिम एकता का भरोसा जीता।
- जलियांवाला बाग में निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवाने के खिलाफ गांधी जी ने असहयोग आंदोलन छेड़ा, जिसके तहत सभी राजनैतिक और सरकारी संस्थाओं का बहिष्कार करने की मांग की।
- भारत छोड़ो आंदोलन से पहले गांधी जी ने चौरी-चौरी आंदोलन और अंग्रेज़ों के फैसले के खिलाफ नमक बनाने के लिए डांडी मार्च भी निकाला था लेकिन स्वतंत्रता के लिए यह उनका तीसरा सबसे बड़ा आंदोलन था। इस आंदोलन में गांधी जी को जेल भी जाना पड़ा था।
सबके हैं गांधी
गांधी जी के शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने गुलाम भारत को आज़ाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई है और सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।
- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बाराक ओबामा जब सीनेटर थे, तो उनके ऑफिस में गांधी जी की तस्वीर रखी थी। वह महात्मा गांधी को प्रेरणा के रूप में देखते हैं और उनके सामान्य होते हुए भी असाधारण चीज़ें करने की क्षमता को असामान्य मानते हैं।
- दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला गांधी जी से प्रेरित थे।
- अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक लेटर में गांधी जी को ‘उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श मॉडल’ कहा था।
- ब्रिटिश संगीतकार जॉन लेनन ने माना था कि गांधी जी के विचार उनके संगीत पर प्रभाव डालते हैं।
- पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल गोर ने भी अपने ऊपर गांधी जी के प्रभाव को स्वीकार किया हैं।
एक वो गांधी थे, जिन्होंने देश को अंग्रेज़ों से आज़ादी दिलाई… चलो एक गांधी को अपने अंदर जन्म देते हैं, जो हर बुराई के खिलाफ लड़ने की हिम्मत दिखाएं।
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