शिव को आदियोगी भी कहा जाता है, क्योंकि वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने मनुष्य के दिमाग में योग के बीज डाले। उन्होंने यह गुर जिन सात लोगों को दिए थे, उन्हें सप्तऋषि के नाम से जाना जाता है।
कुछ ऐसा ही हम महादेव कहे जाने वाले शिव के बारे में बताएंगे कि किस तरीके से वह हमें अपने हर दिन को समझदारी, तर्क, नैतिकता और धैर्य के साथ जी सकते हैं।
शिव की तीसरी आंख
यह आपको बताती है कि किसी भी परिस्थिति में आपको केवल अपने सामने दिखने वाली चीज़ें ही नहीं, बल्कि उनके पीछे क्या उद्देशय हो सकता है, यह समझने की कोशिश करनी चाहिए। इससे आप खुद को सुरक्षित रख सकेंगे।
नेगेटिविटी से दूर रहें
महादेव को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने इस संसार को बचाने के लिए समुद्र मंथन से निकले विष को अपने गले में रख लिया था। उनका यह निर्णय हमें सिखाता है कि, नकारात्मक माहौल आपको कमज़ोर कर सकता है, इसलिए नकारात्मक बातों को अपने मन तक न पहुंचने दें। चाहे कुछ भी हो, सकारात्मक रहें।
अपनी इच्छाओं को वश में रखना
अगर आप भगवान शिव की वेश-भूषा पर ध्यान दें तो समझ आएगा कि उनको किसी चीज़ का मोह नहीं था। शिव से सीख मिलती है कि आपको अपनी इच्छाओं को नियंत्रण में रखना चाहिए, क्योंकि इच्छाएं हद पार कर दें तो जुनून बन जाती हैं और जुनून आपको केवल विनाश की ओर ले जा सकता है। इसलिए आत्मसंतुष्टि बहुत ज़रुरी है।
शिव का त्रिशूल
त्रिशूल की तीन नोंक आपको आपके मन, बुद्धि और अहंकार को नियंत्रित करना सिखाती हैं और आपके दिमाग को कभी भी पथ से भटकने नहीं देतीं।
शिव के बंधे हुए बाल
यह बताते हैं कि मन, शरीर और आत्मा की एकता से आप अपने काम पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। कठिन अध्ययन करना हो, बेहतर ध्यान केंद्रित करना हो या स्वस्थ महसूस करना हो, यह सब ही आपके दिमाग, शरीर और आत्मा के बीच एक सामंजस्य से हासिल किया जा सकता है।
धीरज रखें
इस संसार के हित के लिए शिव लंबे समय तक साधना करते हैं। वह अशांत और अधीर नहीं होते, इसलिए जब भी किसी भी परेशानी को हल करना चाहते हैं, तो शांत रहें, अपने मन पर धैर्य साधे और मेडिटेशन की महत्व समझें।
तो शिव के इस आध्यात्मिक रुप से मिलने वाली सीख को अपने जीवन में अपनाकर खुद को बेहतर इंसान बनाने की कोशिश की जा सकती है।
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