जाति व्यवस्था की जड़ें हमारे समाज में बहुत गहरी है और अक्सर इसका ज़हर समाज को नुकसान पहुंचाता रहता है। हम में से अधिकांश लोग भी अक्सर किसी के सरनेम से उसके बारे में कोई राय बना लेते हैं, जो बिल्कुल गलत है। जातिवाद के ज़हर से समाज को बचाने के लिए हरियाणा की खेड़ा खाप ने अनोखी तरकीब निकाली है।
काबिले तारीफ पहल
जाति व्यवस्था कितनी हानिकारक है, इसकी बानगी तो आप आये दिन देखते ही रहते है। किसी शख्स को छोटी जाति का होने की वजह से मंदिर में नहीं जाने दिया जाता, तो कभी ऊंची जाति की लड़की और निचली जाति के लड़के की शादी पर बवाल मच जाता है। छोटी जाति के लोगों को अक्सर हीन दृष्टि से देखा जाता है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। हम सब इंसान है और सब समान है, मगर समानता के इस अधिकार के लिये जाति व्यवस्था से छुटकारा पाना ज़रूरी है। इसके लिये लोगों को जागरुक होने की ज़रूरत है, जैसे हरियाणा के जींद जिले के लोग हुये है। जींद जिले के खेड़ा खाप ने नाम में से जाति दर्शाने वाले शब्दों का इस्तेमाल न करने का फैसला लिया है, यानी अब इस जिले के 24 गांव के लोग अपने नाम के आगे सरनेम नहीं लगायेंगे क्योंकि सरनेम लगाने से किसी की जाति का पता चलता है।

समान व्यवहार
दरअसल, इस फैसले के पीछे खाप का मकसद जातिवाद को खत्म करना है क्योंकि अक्सर हम सामने वाले शख्स की काबिलियत और व्यवहार जाने बिना सिर्फ उसकी जाति के आधार पर अपनी राय बना लेते हैं। मसलन, छोटी जात वालों को तुच्छ समझते हैं, ब्राह्मण, क्षत्रिय श्रेष्ठ माने जाते है। सच तो यह है कि इंसान जाति से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से श्रेष्ठ और तुच्छ बनता है। ऊंची जाति वाले किसी शख्स का यदि व्यवहार अच्छा नहीं है, उसमें इंसानियत और संवेदनशीलता नहीं है, तो कैसे वह श्रेष्ठ हो सकता है। इसके विपरीत निचली जाति वाला कोई शख्स बुद्धिमान, संवेदनशील और दयालु है, तो आप उसे सिर्फ जाति के आधार पर तुच्छ नहीं समझ सकते।
आप भी कीजिये पहल
– हर इंसान को एक समान समझें।
– सबके लिये दया और प्यार की भावना रखें।
– जाति नहीं, इंसानियत को सर्वोपरि समझें।
– किसी के सरनेम से उसके बारे में कोई राय न बनाएं।
इमेज : ज़ी न्यूज़ फेसबुक
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