आजकल अक्सर एक तुलना की जाती है कि मोबाइल और टीवी के आने से पहले का जीवन कैसा था? किस तरह परिवार एक साथ समय बिताता था, बच्चे कैसे एक-साथ बिना स्क्रीन टाइम के खेलते थे? बनाम अब का जीवन – जो पहले से कितना बदल गया है। जब भी इस तरह के मीम या कहें की फॉर्वर्डेड मैसेज आते हैं, तो अक्सर पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चों को अपने–अपने मोबाइल में व्यस्त दिखाया जाता है। इसे देखकर लगता है कि मानो हर रिश्ते में पैदा होने वाली दूरियां केवल इन गैजेट्स की वजह से हैं। लेकिन इससे बड़ी भी एक चीज़ है, जिसकी वजह से आप अपनों से ही नहीं बल्कि खुद से भी दूर होने लगते हैं, और वह है आपकी मानसिक ‘अनुपस्थिति’। किसी भी चर्चा के बीच जब आपके मन में, अपने सामने वाले की बात पर ध्यान देने की बजाय, कोई और ही कहानी चल रही होती है, बस वहीं से शुरु होती है दूरियां। क्योंकि जब आप किसी को सुनेंगे नहीं तो उसकी बात को समझेंगे कैसे, और जब आप बात समझ ही नहीं पाएंगे, तो दूरी पैदा होगी ही।
ऐसे में आप सचेत रहने के लिए इन 7 सिद्धांतों का पालन कर सकते है, जिससे जब आप किसी से बात कर रहे हों तो आपका मन इधर-उधर भटकने की जगह, सामने वाले की बात पर रहने लगेगा।
ध्यान देने का इरादा पक्का करें
छोटी-छोटी बातों से शुरुआत करें। जब आप किसी से बात कर रहे हों और आपका ध्यान बात से भटकने लगे, तो सबसे पहले उसे वापस चल रही चर्चा पर लें आएं। बाद में समझने की कोशिश करें की आपका ध्यान क्यों भटक रहा था। जवाब मिलने पर इस दिशा में काम करें। जब आप सामने वाले की बात को ध्यान से सुनेंगे, तो उसकी बात पर अनचाही प्रतिक्रिया देने की जगह सही और संयम से जवाब दे सकेंगे।
बातचीत के दौरान विराम लें
दूसरों से लगातार चर्चा करते समय अगर आप बीच-बीच में छोटे से दिमागी विराम लेंगे, तो आप खुद के विचारों से जुड़े रहेंगे, साथ ही आप शुरु से लेकर अंत तक उस चर्चा में दिमागी तौर से मौजूद रहेंगे। मन को भटकने न देने के लिए एक क्षण रुकें, लंबी सांस लें और वापस आजाएं। अगर मन भटके, तो खुद से सवाल ज़रूर करें कि, ‘क्या आप सच में इस वक्त यह सोचना चाहते हैं।‘

जीवन की आवाज़ को गहराई से सुनें
हर पल को महसूस करें, इससे आपके मन को सचेत रहने का अभ्यास होगा। ज़्यादातर लोगों को लगता होगा कि किसी की बात को ध्यान से सुनने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है, लेकिन ऐसा नहीं है। माइंडफुलनेस का नियमित अभ्यास करने से आप एक आरामदायक ज़ोन में आ जाते हैं, जहां आपको किसी की बात को ध्यान से सुनने के लिए ज़्यादा प्रयास नहीं करना पड़ता।
माइंडफुल इंक्वारी यानि मन में चल रही बातों के बारे में खुद से सवाल करें
वर्तमान पल में चल रही अपने मन की बातों के बारे में सवाल पूछें। अगर आप किसी के बारे में धारणा बना रहे हों, खुद की किसी से तुलना कर रहे हों, तो अपने आप से पूछें कि क्या यह सच में सही है। और अपने मन की बातों मे आने की जगह अपने सवालों के जवाब ढूंढे।
अपने डर से भागे नहीं, उसका मुकाबला करें
अगर आप किसी पल में असहज महसूस करते हैं तो उससे भागे नहीं, सामना करें। रिलेश्नल माइंडफुलनेस से आप असहजता का सामना करना सीखेंगे जिससे आपकी वर्तमान में रहने की क्षमता बढ़ेगी। अगर आपको किसी से ईर्ष्या हो रही हो, या किसी की बात से मन को ठेस पहुंची हो, तो खुद के सवालों का जागरुकता से जवाब दें।
ज़िम्मेदारी लें
जब बात या हालात काबू से बाहर निकलने लगते हैं, तो अक्सर लोग दूसरो को दोष देते हैं। ऐसे में जिम्मेदारी लेना सीखें, जिसके लिए सबसे पहले अपने मन में उठ रहे सवालों की, खुद को किसी से बेहतर समझने की या किसी के बारे में धारणा बनाने की ज़िम्मेदारी लेने का अभ्यास करें।
खुद से सच बोलें
कई बार आप ऐसी परिस्थिति में होते हैं जहां आप खुद से भी सच नहीं कह पाते। सबसे पहले खुद से सच बोलने का अभ्यास करें। यह देखें कि जब आप सच बोलते हैं, बेशक वो कड़वा हो, तो लोग आपके बारे में कैसा सोचते हैं। अपने चेहरे पर से मुखौटा हटाएं जिससे आप अपने जज़्बात दूसरों से छुपाते हैं। ऐसा करने से आपको लोगों की पहचान होगी, कि कौन आपके साथ खड़ा है। और सबसे बड़ी बात – अपने मन की आवाज़ सुनें, जो आपको जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता बताएगी।
इन बातों से आप समझ ही गए होंगे कि किसी और से रिश्ते मज़बूत करने हो तो आपको उनकी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना होगा। लेकिन आपको अपने मन में चल रही बातों पर भी पूरा ध्यान देना होगा, तभी आप खुद के करीब आ सकेंगे। जब मन खुश होता है, तब ही आस-पास के लोगों से रिश्ते मधुर होते हैं।
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