हम दोनों हैं जुदा-जुदा

हम दोनों हैं जुदा-जुदा

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पुरुष और महिलायें एक दूसरे से कई मामलो में अलग होते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे वैज्ञानिक कारण बताने जा रहे हैं, जिनको पढ़कर आप जेंडर डिफ्रेंस के अंतर को बेहतर तरीके से समझकर जीवन में इस्तेमाल करेंगे।

नीचे अलग-अलग परिस्थितियों में पुरुष और महिलाओं के रिऐक्शन बताये जा रहे है और साथ ही उसके पीछे का कारण भी समझाया जा रहा है।

महिलएं सब याद रखती हैं

कभी ऐसा हुआ है कि, किसी बहस के दौरान आपकी महिला साथी ने सालों पुरानी बात सामने रख दी हो, जो आपको याद भी न हो?

कारण –

महिलाओं का ‘हिप्पोकैमस’ पुरुषों के मुकाबले में बड़ा होता है। यह दिमाग का वह हिस्सा होता है, जहां यादें स्टोर होती हैं।

फायदा –

ऑफिस में – जब भी आपको किसी पुरानी चीज़ के साथ तुलना करनी हो, तो अपनी महिला सहकर्मी के साथ डिसकस करें। आपको यकीनन छोटी-छोटी डीटेल्स याद आ जायेगी।

महिलाओं की खूबियों में छुपी है साइंस  | इमेज: फाइल इमेज

प्रेज़ेंटेशन और अपनी बात समझाने के तरीका भी होता है अलग

क्या आपने ऑफिस की किसी मीटिंग में पुरुष और महिला की प्रेज़ेंटेशन के बीच में कोई फर्क महसूस किया है? महिलाएं कोई भी निर्णय लेते समय छोटी-छोटी डीटेल्स पर फोकस करती हैं। जब उन्हें प्रेज़ेंट करना होता है, तो वे उन डीटेल्स के बारे में बताती हैं, जिस पर उनका निर्णय आधारित है।

कारण –

‘प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स’ (पीएफसी) दिमाग का निर्णय केंद्र, जो सामाजिक व्यवहार, निर्णय और परिणामी सोच को कंट्रोल करता है। यह महिलाओं में जल्दी डेवलप हो जाता है, जिससे वह अपनी टीनएज में पुरुषों के मुकाबले कम रिस्क लेती हैं।

फायदा –

मीटिंग्स और ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशन्स के दौरान महिलाओं की सोचने और उनके तर्क को स्पष्ट करने की क्षमता का इस्तेमाल करें।

महिलायें ज़्यादा संवेदनशील होती है

अगर आपको भी लगता है, इसका भी कारण है।

कारण 

संवेदनशीलता होने का कारण महिलाओं के दिमाग का ‘एंटेरियर कॉर्टेक्स’ होता है, जो उनकी भावनाओं को प्रॉसेस करता है और यादों को व्यवस्थित करने के साथ-साथ रोशन करता है।

फायदा –

मीटिंग्स के दौरान महिलायें पुरुषों की तुलना में आसपास के लोगों के चेहरे के भाव पढ़ने में ज़्यादा सक्षम होती हैं। वे कमरे का इमोशनल टेंपरेचर  आसानी से समझ सकती हैं और अपने आसपास के लोगों के प्रति संवेदनशील होती हैं।

ऐसी कई चीज़ें होती हैं, जो किसी पुरुष और महिला की सोच और काम करने के तरीके के पीछे छुपी होती हैं। इसलिए, जब आपको कुछ समझ न आये, तो विज्ञान का सहारा लीजिये।

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