बच्चे का रूटीन बदलने पर भी आप कर सकते हैं उन्हें 5 तरीकों से अनुशासित

बच्चे का रूटीन बदलने पर भी आप कर सकते हैं उन्हें 5 तरीकों से अनुशासित

बच्चे का रूटीन बदलने पर भी आप कर सकते हैं उन्हें 5 तरीकों से अनुशासित
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पहले लोग कहा करते थे, काश! वो घर पर परिवार के साथ कुछ सुकून भरा समय बिता सकें। लोग अब घर पर तो हैं लेकिन सुकून वैसा नहीं जैसा उन्होंने कभी सोचा होगा। बच्चे घर पर हैं, न स्कूल जा सकते हैं और न ही अपने दोस्तों से मिल सकते हैं। आप घर से काम कर रहे हैं। घर के काम कर रहे हैं। हो सकता है कि आपके साथ भी कई बार हुआ हो जब आप रसोई में काम करते समय ऑफिस की कॉल पर हों, या फिर बच्चे को होमवर्क करवाते समय भी कॉल ले रहे हों।

लॉकडाउन में बच्चों को समस्या

आजकल ज़्यादातर लोग रात में नेटफ्लिक्स देखते हुए सोने जाते हैं, बच्चे सारा दिन या तो लैपटॉप पर स्कूल की क्लास कर रहे होते हैं, टीवी देखते रहते हैं या मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं। बाहर जाने का तो कोई मतलब ही नहीं है, जिसकी वजह से न कोई पार्क जा सकता है और न किसी दूसरी जगह। कुल मिला कर आपकी वर्तमान ज़िंदगी घर की चारदीवारी में सिमट गई है, जो कि सुरक्षित भी है, लेकिन इससे आपकी सामान्य दिनचर्या उलट गई है।

अब बच्चे चौबीस घंटे आपकी नज़रों के सामने रहते हैं, और अगर आप हर समय टोका-टोकी करते रहते हैं, तो आपने ध्यान दिया होगा कि उन्होंने आपकी बातों पर धीरे-धीरे ध्यान देना कम कर दिया होगा।

ज़रा सोच के देखिए कि अगर आपकी ज़िंदगी में ही अनुशासन नहीं होगा तो आप बच्चों को घर के नियमों का पालन करने के लिए कैसे कह सकेंगे।

अपने बच्चे की तारीफ करें । इमेज फाइल : इमेज

नियम बनाएं आप चिल्ला-चिल्ला कर अपना गला खराब ही क्यों न कर लें, लेकिन आपके चिल्लाने का बच्चों पर कोई असर नहीं होगा। आपको बच्चों के साथ शांति से बैठकर बात करनी होगी। आपको उन्हें उचित व अनुचित व्यवहार के बारे में बताना होगा। एक बार नहीं, बल्कि कई बार अपनी बात को दोहराना होगा। बच्चों से बात करते समय अपना संयम बना कर रखें, शांति से बात करें और एकदम स्पष्ट रहें। उन्हें साफ शब्दों में समझा दें कि घर के नियमों का पालन न करने पर उन्हें सज़ा मिल सकती है। लेकिन आप यह भी ध्यान रखें कि आपका बच्चा कोई रातों-रात नहीं बदल जाएगा।

अपने बच्चे की तारीफ करें

बच्चे प्रशंसा करने पर पहले से ज़्यादा कोशिश करने लगते हैं। जब हो सके, अपने बच्चे की तारीफ करें। आप बच्चे को उसके अच्छे व्यवहार के लिए ईनाम भी दे सकते हैं। आप चाहें तो घर की किसी मुख्य दीवार पर एक चार्ट लगाएं, जिसमें आप बच्चे के अच्छे काम के बारे में लिखें। यह आपके बच्चे को अधिक ब्राउनी पॉइंट अर्जित करने और बेहतर व्यवहार करने के लिए प्रेरित करेगा।

एक रूटीन बनाएं

जब बच्चों की एक निर्धारित दिनचर्या होती है, तो बच्चे ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ऐसा करने से उनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है साथी ही लंबे समय के लिए अच्छी आदते बन जाती है। सच माने तो दिनचर्या का पालन करने से आप आसानी से सभी कामों को पूरा कर सकते हैं। अपने बच्चे के साथ बैठें और उससे पूछें कि वह पूरे दिन में क्या-क्या करना पसंद करता है। इसकी एक सूची बनाएं। बेवजह टीवी के सामने समय बर्बाद करने की जगह अपने बच्चे को उसकी पसंद की चीज़ें करने के लिए प्रोत्साहित करें, और दिनचर्या का पालन करने पर उसे ईनाम दें।

शांत रहें

कैसी भी परिस्थिति हो अपनी आवाज़ को ऊंचा न करें। चिल्लाने से आप और आपका बच्चा, दोनों ही तनाव में आ जाएंगे। अगर आपको लगे कि अब बात आपके हाथों से निकल रही है, और आपका गुस्सा फूटने वाला है, तो आप दूसरे कमरे में चले जाएं, और तब तक बाहर न आएं जब तक आप और आपका बच्चा शांत न हो जाए। अपने बच्चे से बात करने से पहले 5 से 10 बार गहरी सांस लें।

किसी न किसी तरह का व्यायाम करें

हर व्यक्ति को अंदर की एनर्जी को बाहर निकालने के लिए एक माध्यम की ज़रूरत होती है। ऐसे में कसरत करें, सुरक्षित हो तो कम से कम दस मिनट रोज़ सैर करें। आप अपने बच्चे को साथ में व्यायाम या डांस करने के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से आप दोनो का तनाव कम होगा।

पॉज़िटिव व्यवहार रखें

चिल्लाने से बेहतर है कि बच्चे के साथ अच्छे विषय या उसके मनपसंद विषय पर बात करें। किसी भी बात पर चर्चा करने से आपका बच्चा भी खुद को शामिल महसूस करेगा और वो क्या चाहता है, आपको बता सकेगा। ज़ाहिर सी बात है कि रोज़-रोज़ खाली समय निकाल पाना बेहद मुश्किल होता है, इसलिए बच्चे को अपने साथ काम में व्यस्त करें, और उस दौरान उससे बात करें। खाना साथ बनाएं, साफ-सफाई में मदद मांगे, पेंटिंग साथ करें, केक साथ बनाएं या कोई दूसरा काम जो दोनो को पसंद हो, साथ में करें। अगर आपका बच्चा स्क्रीन टाइम ज़्यादा लेता है, तो उससे किसी नई ऐप या गेम के बारे में जानकारी लें, जो आप साथ खेल सकें।

जितना ज्यादा आप अपने बच्चे के साथ घुलेंगे-मिलेंगे, उतना ही ज़्यादा वो आपकी बात सुनने के लिए तैयार रहेगा।

यह लेख दिल्ली की अनन्या ने लिखा है, जो घर से काम करती हैं और 6 साल के एक बच्चे की मां हैं। बताए गए तरीके उन्होंने खुद इस्तेमाल किए हैं।

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