इंसानियत ही सच्ची सेवा

इंसानियत ही सच्ची सेवा

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समाज सेवा करना हो या फिर स्ट्रीट एनिमल्स हो, आजकल यंग लोग किसी भी काम को करने से हिचकते नहीं है। हाल ही में वडोदरा की 21 साल की लड़की भर्गसेतु शर्मा की बहादुरी की मिसाल एक टीवी प्रोग्राम के ज़रिये सामने आई।

जानवरों को सहारा

रियलिटी शो में हीरोज़ कैटेगरी में शामिल होने वाली भर्गसेतु शर्मा के पास एनसीसी का सर्टिफिकेट भी हैं। फिलहाल वह सोशल वर्क में मास्टर्स की स्टुडेंट हैं, लेकिन पढ़ाई के साथ उन्होंने ह्यूमन्स विद ह्यूमैनिटी ऑर्ग्नाइज़ेशन बनाया है। यह संस्था बेसहारा जानवरों की मदद करता हैं। भर्गसेतु एनिमल रेस्क्यूर है, यानी वह बेसहारा और घायल जानवरों की मदद करती हैं।

मौत के मुंह से निकाल लाई

भर्गसेतु हर ज़रूरतमंद की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं, चाहे वह इंसान हो या जानवर। भर्गसेतु ने एक बार नदी में 20 फीट तक जा चुके इंसान को डूबने से बचाया था। फौरन ही नदी में उस शख्स को ढ़ूंढ़कर बाहर निकाला गया। बाहर निकालने के बाद पता चला कि उस शख्स की सांसें बंद हो गई थी, लेकिन भर्गसेतु ने हिम्मत दिखाते हुये सीपीआर (मुंह के ज़रिये) देकर उस शख्स की जान बचाई। सबको लगा था कि वह मर गया है, लेकिन भर्गसेतु उसे मौत के मुंह से वापस ले आईं। उन्हें बहादुरी के लिए गुजरात सरकार की ओर से कई अवॉर्ड मिल चुके हैं।

सच्चे दिल से सेवा  | इमेज: फाइल इमेज / रोडीज़

असहाय की मदद

अपनी संस्था ह्यूमन विद ह्यूमैनिटी के ज़रिए भर्गसेतु का मकसद असहाय जानवर और पालतू जानवरों की मदद करना है। उन्होंने सिर्फ 8 लोगों के साथ मिलकर यह काम शुरू किया था, लेकिन अब उनकी टीम में 80 लोग हैं। सड़क किनारे घायल पड़े जानवर को भर्गसेतु बिना किसी झिझक के घर ले आती हैं और उसकी तब तक सेवा करती हैं, जब तक उसे नया घर नहीं मिल जाता।

जानवरों से प्यार

भर्गसेतु को जानवरों से बहुत प्यार है और उनकी सेवा का ख्याल एक वाकये के बाद उनके दिमाग में आया। उनके मुताबिक, एक बार उनकी सोसायटी के लोग आवारा कुत्तों द्वारा गंदगी फैलाये जाने से बहुत परेशान हो गए थे। लोगों ने कुत्ते के दो बच्चों को सोसायटी से बाहर कर दिया, लेकिन बच्चों के जाने से मां उदास हो गई। ये देखकर उन्होंने एक संस्था के साथ मिलकर केस लड़ा और जीतने पर दोनों बच्चों को सोसायटी में वापस ले आईं। बस इसके बाद उन्होंने हर ज़रूरतमंद की मदद करने की ठानी। जहां तक पैसों का सवाल है तो भर्गसेतु और उनकी टीम खुद ही फंड इकट्ठा करते हैं, उनका कहना है कि ‘जब हम एक नेक काम कर रहे हैं तो पैसों की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।’

इमेज: रोडीज़ / इंस्टाग्राम

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