साहस को सलाम, बिना हाथ के जीता गोल्ड मेडल

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दृढ़ इच्छाश्क्ति और बुलंद हौसला हो, तो कोई भी शारीरिक कमी आपको अपने सपनों को पूरा करने से नहीं रोक सकती। इस बात को सच कर दिखाया है, जम्मू-कश्मीर के एथलीट चंदीप सिंह सूडान ने। हादसे में दोनों हाथ गंवाने के बावजूद चंदीप ने स्केटिंग में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर साबित कर दिया है कि शारीरिक कमी ने उनके हौसलों को कम नहीं किया।

खेल में थी खास दिलचस्पी

चंदीप की खेलों में बहुत रुचि है। स्कूल में वह ज़ोनल और स्टेट लेवल पर फुटबॉल प्लेयर, एथलीट और स्केटर थे। मगर साल 2011 में हुए हादसे ने उनकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल दी। उस समय चंदीप सिर्फ 11 साल के थे, जब उन्हें 11,000 वोल्ट का इलेक्ट्रिक शॉक लगा। इस हादसे में उनके हाथ बुरी तरह जल गए थे। इंफेक्शन पूरे शरीर में न फैल जाए, इसलिए डॉक्टरों को चंदीप के दोनों हाथ काटने पड़े। इस हादसे के बाद वह बुरी तरह से टूट गए और उन्हें गहरा सदमा लगा।

परिवार और दोस्तों ने की मदद

बुरे दौर में अच्छे दोस्त और परिवार ही होते हैं जो आपका साथ देते हैं। चंदीप को भी उनके दोस्तों और परिवार का पूरा सहयोग मिला। उनके माता-पिता उन्हें हमेशा समझाते कि जो हो गया उसे भूलकर जीवन में आगे क्या करना है उसके बारे में सोचो। दोस्त और परिवार हमेशा यह एहसास दिलाने की कोशिश करते रहते थे कि चंदीप में कोई कमी नहीं है।

लाखों लोगों के लिए प्रेरणा  | इमेज: फेसबुक

…और फिर लड़ने की ठानी

परिवार और दोस्तों के सहयोग की बदौलत चंदीप ने दोबारा ज़िंदगी की जंग लड़ने की ठानी। बहुत सोच विचार के बाद उन्होंने फिर से स्केटिंग करना शुरू किया। आज वह नेशनल लेवल के स्केटर हैं और उन्होंने सौ मीटर की पैरा स्केटिंग में वर्ल्ड रिकॉर्ड  बनाया है। उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर ‘पहल यूथ अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। चंदीप ने स्केटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है।

हौसलें से हारी मुश्किल

चंदीप ने जब दोबारा स्केटिंग शुरू की तो उनका सफर आसान नहीं था, क्योंकि स्केटिंग में बैलेंस बनाने के लिए हाथों की ज़रूरत होती है। वह बार-बार गिरे, लेकिन जितनी बार भी गिरते दोबारा दोगुने जोश से खड़े हो जाते, आखिरकार गिर-गिरकर उन्होंने उठना सीख लिया और बिना हाथों के अपने शरीर को बैलेंस करने की कला भी आ गई। वैसे चंदीप सिर्फ स्केटिंग ही नहीं मार्शल आर्ट्स और ताइक्वांडो के भी चैंपियन बन गए हैं। उन्होंने वियतनाम में हुए एशियन ताइक्वांडो चैंपियनशिप और नेपाल में हुए इंटरनेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।

चंदीप, आप हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करना चाहता है।

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